सीनियर एडवोकेट राम जेठमलानी ने कहा है कि वह सिर्फ अमीरों से ही फीस लेते हैं, जबकि गरीबों के लिए वह मुफ्त में काम करते हैं। यह सब वित्त मंत्री अरुण जेटली का किया धरा है। वह मेरे क्रॉस एग्जामिनेशन से डर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अगर दिल्ली सरकार या सीएम अरविंद केजरीवाल मुझे पैसे नहीं देते, तब भी मैं मुफ्त में उनका मुकदमा लड़ूंगा। मैं केजरीवाल को अपना गरीब क्लाइंट समझ लूंगा। दरअसल सोमवार को खबरें आई थीं कि अरविंद केजरीवाल को जेठमलानी ने 3.42 करोड़ का बिल भेजा है, जो उनकी केस लड़ने की फीस है। अरुण जेटली द्वारा दायर किए गए मानहानि केस में केजरीवाल के वकील रामजेठमलानी हैं।
जेठमलानी ने रिटेनरशिप के लिए एक करोड़ रुपये और उसके बाद प्रति सुनवाई 22 लाख रुपये फीस रखी है। इस तरह उनकी कुल फीस 3.42 करोड़ रुपये हो गई। दिल्ली सरकार ने बिल का भुगतान करने के लिए उपराज्यपाल को खत लिखा है। दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस केस जुड़े बिलों पर दस्तखत कर उसे पास करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेज दिया है। एलजी बैजल इस संबंध में विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं। टीवी चैनल ‘टाइम्स नाउ’ के मुताबिक प्रशासनिक विभाग को लिखे नोट में मनीष सिसोदिया ने जेठमलानी की ओर से भेजे गए बिल का भुगतान करने को कहा था।
सिसोदिया ने फाइल पर नोटिंग की, जिसमें लिखा- केजरीवाल ने मीडिया में सरकार की आधिकारिक स्थिति को स्पष्ट करने के लिए बयान दिया था और इसके बाद उन पर मानहानि का मुकादमा दर्ज किया था। फाइल को दिल्ली सरकार के कानून मंत्रालय की लीगल ब्रांच को भेजा गया था। कानून मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली के एलजी और वित्त मंत्रालय का क्लीयरेंस जरुरी है। जिसके जवाब में सिसोदिया ने लिखा फाइल को अनुमति के लिए उप राज्यपाल के पास भेजे जाने की जरुरत नहीं है। इसके बाद दिल्ली सरकार में मंत्री गोपाल राय ने उपराज्यपाल को चिट्ठी लिखकर केजरीवाल के बिल का भगुतान करने के लिए कहा था।
बीजेपी ने किया था विरोध: वहीं, दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने ट्वीट कर आप और केजरीवाल पर जनता के पैसों को केस लड़ने के लिए जेठमलानी को दिए जाने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केजरीवाल इस मामले पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं। मैं उन्हें इस मामले में बहस की चुनौती देता हूं।