राजीव जैन
राजस्थान में लोगों की सेहत का ध्यान रखने वाला चिकित्सा महकमा ही बीमारी की हालत में है। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में 7 हजार से ज्यादा तो डॉक्टरों के पद ही खाली हैं और पैरामेडिकल स्टाफ के कई श्रेणियों की 20 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं। प्रदेश में डॉक्टरों की कमी के बावजूद सरकार ने अपने बजट में मोहल्ला और जनता क्लीनिक खोलने का एलान कर दिया है। प्रदेश के सभी 33 जिलों में जिला अस्पताल हैं तो संभाग स्तर पर सरकार के सात बडे़ मेडिकल कॉलेज और उनसे जुड़े अस्पताल हैं। इन सभी में काफी पद खाली हैं।
इनके अलावा प्रदेश 3 हजार 971 स्वास्थ्य केंद्र हैं। प्रदेश भर में 1817 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 2124 उप स्वास्थ्य केंद्र है। प्रदेश के इन सभी केंद्रों पर डॉक्टर और नर्स के स्वीकृत पदों के मुकाबले आधे से भी ज्यादा खाली हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य केंद्रों की तो बहुत ही बुरी हालत है। इसके साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टरों के पद खाली रहने से दुर्घटना होने पर घायलों को जिला अस्पतालों में ही लाना पड़ता है। इसके बावजूद प्रदेश के हर साल के बजट में सरकार चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए बडी रकम का प्रावधान करती है। जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के साथ ही अजमेर, बीकानेर, कोटा, जोधपुर और उदयपुर जैसे बड़े शहरों के अस्पतालों के हाल भी बुरे हैं। इसके कारण 10 वर्षों में शहरी और ग्रामीण इलाकों में कई बड़े निजी अस्पताल खुल गए। जयपुर का एसएमएस अस्पताल सरकारी क्षेत्र का सबसे बड़ा संस्थान है पर इसका विस्तार नहीं हो पा रहा है और न ही उच्च तकनीक अपनाई जा रही है।
एसएमएस अस्पताल पर मरीजों का दबाव कम करने के लिए शहर में सेटेलाइट अस्पतालों की संख्या बढ़ाने की कवायद भी किसी स्तर पर नहीं चलने से हालात खराब होने की तरफ ही बढ़ रहे हैं। मेडिकल सेवाओं से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार को अपने अस्पतालों की हालात में सुधार करना है तो सबसे पहले डॉक्टरों के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ का पूरा इंतजाम करना होगा। राजस्थान चिकित्सा सेवा संघ के अध्यक्ष डॉक्टर अजय सिंह का कहना है कि सरकार को फौरन ही स्टाफ की कमी को दूर करना चाहिए। हालांकि सरकार ने हाल में डॉक्टरों और नर्स समेत अन्य पदों पर भर्तियां करने का फैसला किया है, पर यह बहुत कम है।
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का कहना है कि डॉक्टरों और अन्य स्टाफ की कमी है। सरकार इसे दूर करने में लगी हुई है। सरकार ने तय किया है कि इस वर्ष चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग में 15 हजार पदों पर भर्तियां की जाएंगी। डॉक्टरों के 737 पदों पर भर्तियों के लिए वित्तीय मंजूरी मिल चुकी है। इसके अलावा विभाग ने 2000 डॉक्टरों के पदों के लिए भी विभाग ने वित्त महकमे को प्रस्ताव भिजवाया हुआ है। उनका कहना है कि सरकार का प्रयास है कि डॉक्टर का एक भी पद रिक्त नहीं रहे। विभाग प्रयास कर रहा है कि प्रदेश के हर हिस्से में विशेषज्ञ डॉक्टर की सेवाएं लोगों को उपलब्ध हों। प्रदेश की जनता को निशुल्क दवा योजना के तहत 608 दवाएं निशुल्क मुहैया कराई जा रही है। अब इसमें कैंसर, हार्ट, किडनी आदि गंभीर रोगों की दवाइयां भी निशुल्क मिलने लगेंगी जिससे इन गंभीर बीमारियों का इलाज में लोगों को लाभ मिलेगा। जिला स्तर पर हैपेटाइटिस के उपचार की सुविधा सरकार ने 7 जून से उपलब्ध करवानी शुरू कर दी है।
