दिल्ली के व्यापारी के बेटे को अगवा करने वाले राजीव मंडल की जायदाद जब्त की जाएगी। ईडी और आर्थिक अपराध शाखा अभियुक्त मंडल समेत करीब 20 शातिरों की जायदाद जल्द ही जब्त करने की कार्रवाई शुरू करेगी। इस क्रम में पुलिस की गिरफ्त से बाहर इन अभियुक्तों को दबोचा जाएगा। अगवा करने वाले लोग फिरौती की रकम का हिस्सा नक्सलियों को दे रहे हैं। पुलिस ने लखीसराय के जंगलों में नक्सलियों व अगवा करने वालों के खिलाफ अभियान चलाने के लिए योजना बनाई है। इस सिलसिले में सीआरपीएफ जैसे विशेष बल का भी सहयोग लिया जाएगा। भागलपुर रेंज के आइजी सुशील खोपडे के अनुसार पुलिस ने इस नक्सल विरोधी अभियान के लिए कमर कस ली है। पुलिस महनिरीक्षक खोपडे ने इस संवाददाता को बताया कि बीते नौ महीने के दौरान अपहरण का कोई खास मामला सामने नहीं आया। लेकिन बीते रोज हुए दिल्ली के व्यापारी के दो बेटों को अगवा के वाकए के बाद रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डान सुर्खियों में आया। खोपडे बताते हैं कि लखीसराय के मंडल समेत करीब 20 शातिर अपराधियों को चिह्नित कर आर्थिक अपराध शाखा को सूची भेजी है। ये सभी भागलपुर, बांका, नबगछिया, मुंगेर, लखीसराय , शेखपुरा, बेगुसराय, खगडिया और जमुई जिले के हैं। यह गिरोह आर्थिक अपराध कर अकूत जायदाद का मालिक बने थे। इन सभी की संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया चल रही है। पुलिस को जल्द ही इनकी संपत्ति जब्त होने की उम्मीद है। इन सभी पर हत्या, लूट, डकैती और अपहरण के कई मामले दर्ज हैं।
इनमें भागलपुर के टेरा मंडल, सत्तन यादव और नवगछिया के विनोद यादव के नाम शामिल हैं। विनोद यादव की हाल ही में हत्या हो चुकी है। पुलिस ने टेरा मंडल को बड़ी मशक्कत के बाद दबोचा। मगर सत्तन यादव और राजीव मंडल सरीखे अभी भी सालों से पुलिस की आंख में धूल झोंक कर फरार हैं। मगर अपराध को लगातार अंजाम दे रहे हैं। ऐसे गिरोह पुलिस के लिए सिरदर्द हैं। रंजीत डान लखीसराय जिले के बोधनगर गांव का बाशिंदा है और व्यापारियों को धंधे का लालच देकर बिहार आने का न्योता देता है। इसके चक्कर में जो बिहार आया, उसको बड़ी होशियारी से अगवा कर कजरा के जंगल में ले जाकर फिरौती मांगता है।
2012 के मार्च में नौकरी का झांसा देकर रांची हवाई अड्डे से हरियाणा के अजय सिरोहा को अगवा करने में भी शातिर राजीव डान का ही नाम आया था। नाजायज तरीके से अर्जित की गई अकूत जायजाद के जब्त होने का डर सरगना को सता रहा है। पर, अब ऐसे गिरोह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकेंगे। आइजी के अनुसार रंजीत की जायदाद जब्त होने के कगार पर है। इस वजह से यह नया गिरोह तैयार कर फिर से अपहरण उद्योग में लगा है। इस ताजा वाकए से तो यही जाहिर होता है। लखीसराय का कजरा जंगल नक्सल प्रभावित इलाका है। इस क्षेत्र में जंगल और पहाड़ के कारण आबादी नहीं है। इस वजह से नक्सली को छुपने में आसानी है। अब अगवा गिरोह भी जंगल और पहाड़ का फायदा और नक्सली की मदद लेने में कोई चूक नहीं कर रहे।
इसके बदले ये नक्सली को फिरोती की रकम का कुछ हिस्सा देते है। वैसे कजरा जंगल में पुलिस – नक्सल मुठभेड़ पहले हो चुकी है। नक्सली पर्चे और उनसे जुड़े कागजात मिले हैं, पर पुलिस को वैसी कामयाबी नहीं मिली है। अबकी पूरी योजना के साथ अभियान को अंजाम दिया जाएगा। अलबत्ता इस अभियान का निशाना केवल नक्सली ही नहीं शातिर अगवा गिरोह भी होगा। आईजी की बात से ऐसा ही लगता है कि शायद छठ त्योहार के बाद अंजाम दिया जा सकता है।
