केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर के करीबी होने के कारण पूर्व सांसद वीपी सिंह बदनौर को पंजाब का राज्यपाल बनाया गया है। उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में राजपूत वर्ग को साधने के मकसद से भी उन्हें यह अहम पद सौंपा गया है। बदनौर को इस बार मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विरोध के कारण फिर से राज्यसभा का टिकट नहीं मिल पाया था। केंद्र में भाजपा सरकार बनने के बाद से ही प्रदेश के कई भाजपा नेता राज्यपाल पद की दौड़ में शामिल थे। केंद्र सरकार ने वरिष्ठ नेताओं की दावेदारी को नकारते हुए उत्तर प्रदेश के चुनावी गणित को ध्यान में रखते हुए ही बदनौर को पंजाब जैसे महत्त्वपूर्ण राज्य का राज्यपाल बनाया है। उनका पिछले चार जुलाई को ही राज्यसभा सांसद का कार्यकाल पूरा हुआ था। उन्हें फिर से भाजपा ने राज्यसभा में नहीं भेजा और राजपूत वर्ग से डूंगरपुर के पूर्व राजघराने के हर्षवर्धन सिंह को उम्मीदवार बनाया था। इससे ही वे कुछ नाराज हो गए थे। इस दौरान उनकी नजदीकियां भाजपा उपाध्यक्ष ओम माथुर से बढ़ गई थीं। माथुर उत्तर प्रदेश में पार्टी के प्रभारी भी हैं। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी बदनौर को किसी बड़ी जिम्मेदारी देने के पक्षधर थे।

राजस्थान से वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल को राज्यपाल की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था। अग्रवाल की दावेदारी नकारते हुए राजनीतिक समीकरणों के चलते ही वीपी सिंह बाजी मार ले गए। राज्यपाल मनोनीत होने की घोषणा के बाद बदनौर ने यहां ओम माथुर से मुलाकात भी की। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रदेश के कई नेताओं के नाम काफी समय से राज्यपाल बनाए जाने वालों की सूची में चर्चा में थे। इसमें बदनौर का नाम कभी चर्चा में नहीं रहा। उनकी तैनाती पर प्रदेश के नेता आश्चर्य भी जता रहे हैं। प्रदेश भाजपा संगठन ने भी उन्हें लंबे अरसे से अलग-थलग कर रखा था। सूत्रों का कहना है कि बदनौर ने केंद्रीय स्तर पर ही नेताओं के बीच अपनी पैठ बना ली थी। राज्यसभा का टिकट कटने के बाद से ही माना जा रहा था कि सिंह की राजनीति पर अब विराम लग जाएगा। सिंह राज्यसभा के लिए फिर से दावेदारी भी जता रहे थे। प्रदेश भाजपा की भीतरी राजनीति के चलते ही उन्हें फिर से राज्यसभा का मौका नहीं दिया गया। केंद्र सरकार की तरफ से राज्यपाल मनोनयन की घोषणा ने प्रदेश के नेताओं को चौंका दिया है।

पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावों से पहले वीपी सिंह को राज्यपाल बना कर भाजपा ने अगडेÞ वर्ग को लुभाने की कोशिश भी की है। सिंह की नियुक्ति से राजस्थान के राजपूत समाज में भाजपा की पैठ मजबूत होगी। सिंह भीलवाड़ा के बदनौर ठिकाने से है। भीलवाडा से लोकसभा सांसद रह चुके सिंह राज्यसभा से हाल ही सेवानिवृत हुए हैं। प्रदेश में तीन बार विधायक रहे बदनौर पूर्व में भैरों सिंह शेखावत सरकार में भी कुछ समय के लिए मंत्री थे। वे उच्च शिक्षा प्राप्त राजनेता हैं। राजनीति के अलावा विदेशी मामलों की जानकारी में उन्हें महारथ हासिल है। संसद और विधानसभा की कई कमेटियों में सदस्य रहने वाले सिंह सामाजिक क्षेत्रों में भी खासे सक्रिय हैं।