छात्रों में देशभक्ति जगाने के लिए राजस्थान की बीजेपी सरकार ने कॉलेज के छात्रों को शैक्षिक टूर पर उदयपुर स्थित महाराणा प्रताप गौरव केंद्र ले जाने के निर्देश दिए हैं। पिछले हफ्ते सभी राज्य के कॉलेजों को पत्र लिखकर कॉलेज शिक्षा निदेशालय ने कहा है कि इस यात्रा का उद्देश्य है कि छात्रों में पर्यटन और इतिहास के साथ-साथ देशभक्ति, संस्कृति, मूल्यों, बहादुरी और कर्तव्यों के ज्ञान का विकास बढ़े। इस पत्र को निदेशालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी बंदना चक्रवर्ती ने साइन किया है। छात्रों के प्रताप गौरव केंद्र के शैक्षिक टूर का खर्चा राज्य सरकार द्वारा उठाया जाएगा। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप के बारे में जानकारी देना और उनके इतिहास से जुड़ी बातों को छात्रों के साथ साझा करना होगा।
आरएसएस प्रचारक सोहन सिंह ने महाराणा प्रताप को युवाओं के एक आइकन के रूप में प्रमोट करने की कल्पना की थी। इस केंद्र की नींव आरएसएस चीफ मोहन भागवत द्वारा साल 2008 में रखी गई थी। भागवत द्वारा इस केंद्र को पिछले साल नवंबर में केंद्रीय पर्यटन मंत्री महेश शर्मा, मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी में खोला गया था। इस साल अगस्त में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उदयपुर दौरे पर थे, तब उन्होंने भी महाराणा प्रताप गौरव केंद्र में विसिट किया था। इस केंद्र में महाराणा प्रताप की 57 फुट लम्बी प्रतिमा लगाई गई है जिसका वजन 40 हजार किलोग्राम है। यहां एक हल्दीघाटी विजय युद्ध दीर्घ नाम से गैलरी है जिसमें चित्रण के द्वारा महाराणा प्रताप और मुगल किंग अकबर के बीच हुए हल्दीघाटी युद्ध को दर्शाया गया है।
राज्य सरकार द्वारा छात्रों को केंद्र लेकर जाने की बात सामने आने के बाद इस पर विवाद खड़ा हो गया है। पूर्व राजस्थान शिक्षा मंत्री और कांग्रेस नेता भंवरलाल मेघवाल ने कहा कि हम महाराणा प्रताप को बीजेपी से ज्यादा प्यार करते हैं और हम इस टूर के खिलाफ नहीं हैं लेकिन राज्य सरकार को छात्रों को केंद्र ले जाने के मामले में कॉलेज को विवश नहीं करना चाहिए। अगर छात्र अपनी मर्जी से केंद्र जाएं तो वह ठीक है लेकिन उनपर किसी तरह का नियम लागू करना सही नहीं है, इसलिए शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए निर्देश गलत हैं। वहीं कांग्रेस की राज्य उपाध्यक्ष अर्चना शर्मा ने कहा कि राजस्थान में ऐसे कई स्मारक हैं जो कि राजा महाराणा प्रताप की महानता को दर्शाते हैं लेकिन सरकार ने उन्हें प्रमोट करने के लिए कोई कदम नहीं उठा। इससे साबित होता है कि राज्य सरकार केवल आरएसएस द्वारा बनाए गए इस केंद्र को प्रमोट करना चाहती है।