देश में पिछले दिनों सांप्रदायिक हिंसा के कई मामले सामने आए हैं, जिन्हें लेकर सियासी माहौल काफी गरम है। टीवी चैनलों पर भी इन मुद्दों को लेकर हर रोज जोरदार डिबेट हो रही हैं। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगाकार इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। पूरे प्रकरण में सिर्फ सियासी माहौल को लेकर चर्चाएं हो रही हैं। अक्सर देखा गया है कि इस तरह की घटनाओं में आम लोग धर्म और जाति को भूलकर एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आते हैं। ऐसी ही इंसानियत की मिसाल करौली दंगों के दौरान मधुलिका सिंह ने पेश की है। उन्होंने अपने भाई के साथ 15 लोगों को अपने घर में पनाह देकर ना सिर्फ उनकी जान बचाई बल्कि आग में झुलस रही दुकानों को भी बचाने का प्रयास किया।

मधुलिका 48 वर्षीय विधवा हैं, जिनके दो बच्चे हैं। वे पति की मृत्यु के बाद से पिछले पांच वर्षों से कपड़ों का व्यवसाय चला रही हैं। उनकी दुकान उसी बाजार में है जहां हिंसा हुई थी। दो अप्रैल को जब जुलूस इस बाजार से गुजर रहा था तो यहां दंगा भड़क गया। मधुलिका ने बताया कि तोड़फोड़ और शोर की आवाज सुनकर वे बाहर गई तो देखा लोग हड़बड़ी में दुकानें बंद करके भाग रहे हैं। वहीं, सामने से एक भीड़ आ रही थी, जिसका उन्होंने बहादुरी से सामना किया।

निडरता से किया भीड का सामना
पुलिस के मुताबिक, यहां जुलूस ने लाउडस्पीकर पर संवेदनशील नारे लगाए और उसके बाद हिंसा और पथराव शुरू हो गया। मधुलिका ने बताया कि जिस वक्त यह घटना हुई तो कुछ लोगों ने उनसे शटर बंद करने को कहा। शोर की आवाज सुनकर वे बाहर निकलीं तो उन्होंने देखा कि लोग सड़कों पर भाग रहे हैं और कुछ लोग दुकानों में आग लगा रहे थे। मधुलिका और उनके भाई संजय ने अपने परिवार की परवाह किए बिना करीब 15 लोगों को घर में शरण दी और इनकी जान बचाने लिए निडरता से दंगा कर रहे लोगों का सामना किया।

आग बुझाने के लिए बाल्टी भरकर दुकानों पर फेंका पानी
इसी शॉपिंग कॉम्पलैक्स में ब्यूटी पार्लट चलाने वाली मिथिलेश सोनी ने तीन महिलाओं के साथ मिलकर दुकानों पर लगी आग बुझाने के लिए बाल्टी भर भरकर पानी डाला। मिथिलेश ने बताया कि हमने हिंसा को देखते हुए मुस्लिम बच्चों को बाहर नहीं निकलने दिया। करौली सदर बाजार मार्केट एसोसिएशन के प्रमुख राजेंद्र शर्मा ने कहा, “इस बाजार में हिंदू और मुसलमान वर्षों से एक साथ व्यापार कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं जहां लोगों के बीच अविश्वास और फूट हो। हम शांति और भाईचारे की वापसी चाहते हैं।”