जोधपुर फैमिली कोर्ट ने एक बाल विवाह को रद्द कर दिया है। अदालत ने गुरुवार को दोनों पक्षों की सहमति के बाद इस शादी को खत्म किया है। ये शादी14 साल पहले तब हुई थी जब लड़की महज 3 साल की थी और लड़का 11 साल का। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक मुन्नी (बदला हुआ नाम) की शादी घरवालों ने साल 2003 में 11 साल के एक लड़के से कर दी थी। मुन्नी के परिवार वालों का कहना है कि ये शादी गांव वालों के दबाव में की गई थी। इसी दौरान लड़की के पिता की मौत हो गई। इसके बाद गांव वाले लड़की की मां पर बच्ची को ससुराल भेजने का दबाव बनाने लगे। लेकिन तबतक लड़की बड़ी हो चुकी थी और उसे दुनियादारी की समझ भी हो गई थी। लिहाजा लड़की ने ससुराल जाने से मना कर दिया और एक गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) सारथी ट्रस्ट की मदद ली। इस लड़की ने एनजीओ की मदद से जोधपुर फैमिली कोर्ट में अपनी शादी को रद्द करने का आवेदन दिया।

शुरुआत में तो लड़के के घरवाले इस मामले में बात ही नहीं करना चाह रहे थे। पर जब एनजीओ के सदस्यों ने उन्हें समझाया और बताया कि ये शादी अवैध है तो वे इस मुद्दे पर बात करने को राजी हुए। बता दें कि भारत में लड़कियों की शादी की कानूनन उम्र 18 साल और लड़कों की 21 साल है। सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी कीर्ति भारती बताती हैं, ‘लड़की से बात करने के बाद मैंने उनके ससुराल वालों से बात की। पहले तो वे इस कानूनी कार्रवाई में पड़ना नहीं चाहते थे लेकिन समझाने के बाद वे इस अवैध शादी को खत्म करने को तैयार हो गये।’ 11 साल की उम्र में शादी कर चुका लड़का भी अब 25 साल का हो चुका है और वह एक प्राइवेट स्कूल में काम करता है। कीर्ति भारती बताती है कि जब उन लोगों ने लड़के को इस शादी की वजह से होने वाली कानूनी परेशानियों के बारे में बताया तो वह भी बालपन में बने इस रिश्ते को तोड़ने के लिए राजी हो गया।

मुन्नी की मां एक गरीब परिवार से आती है। गरीबी और पति की मौत के बावजूद उसने अपनी बेटी को बड़े अरमानों से पाला। इस शादी के खत्म होने के बाद मुन्नी के लिए अवसरों के कई दरवाजे खुल चुके हैं। एनजीओ ने उसका रजिस्ट्रेशन सेकेंडरी परीक्षा के लिए करवा दिया है। मुन्नी ओपन स्कूल के जरिये परीक्षा देगी। मुन्नी की मां कहती है कि वह तबतक अपनी बेटी की शादी नहीं करेगी जबतक वो खुद इसके लिए राजी नहीं हो जाती है।