राजस्थान के अलवर जिले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने शुक्रवार (13 मार्च, 2020) को पहलू खान लिचिंग मामले में फैसला दिया। इसमें दोषी ठहराए गए दो नाबालिगों को तीन साल की सजा सुनाई गई। ऐसे मामले में दी गई यह अधिकतम सजा है। प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट सरिता धाकड़ की अगुवाई वाले बोर्ड ने पिछले हफ्ते वीडियो सबूतों के आधार पर दोनों नाबालिगों को दोषी ठहराया था।
भिवाड़ी के एसपी अमनदीप सिंह कपूर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दोनों को सुधार गृह में तीन साल बिताने की सजा सुनाई है।’ प्रदेश के बहरोड़ में स्वयंभू गो सेवकों ने मवेशियों को लेकर जा रहे पहलू खान को पीट-पीटकर बुरी तरह घायल कर दिया था। इसके घटना के दो दिन बाद यानी 3 अप्रैल, 2017 को 55 वर्षीय खान की मौत हो गई।
जयपुर रेंज के एसपी एस सेंगाथिर ने बताया, ‘जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने दोनों नाबालगिों को आईपीसी की धारा 147, 341, 323 और 427 के अलावा अन्य धाराओं के तहत दोषी पाया।’ अलवर की एक और जुवेनाइल कोर्ट में एक अन्य नाबालिग आरोपी के खिलाफ अभी मामला चल रहा है।
इससे पहले अगस्त 2019 को अलवर में एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज नंबर 1 की कोर्ट ने पहलू खान पर हमला करने और हत्या के सभी छह लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। मामले में यह भी देखा गया कि राजस्थान पुलिस की जांच में गंभीर कमियां थीं।
सभी छह आरोपियों के बरी होने के बाद कांग्रेस सरकार ने जांच में चूक और अनियमितताओं की पहचान करने के लिए एसआईटी का गठन किया। रिपोर्ट में अलग-अलग स्तर पर कमियां उजागर होने के बाद सरकार ने अलवर कोर्ट के फैसले के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में अपील की।