आरएसएस नेता मनमोहन वैद्य ने जाति के आधार पर नौकरियों में आरक्षण दिए जाने पर सवाल उठाया है। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में उन्‍होंने कहा कि जाति आधारित आरक्षण खत्‍म होना चाहिए। एक सवाल के जवाब में वैद्य ने कहा, ”आरक्षण का विषय भारत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिहाज से अलग संदर्भ में आया है। इन्‍हें लंबे समय तक सुविधाओं से वंचित रखा गया है। भीमराव अंबेडकर ने भी कहा है कि किसी भी सत्र में ऐसे आरक्षण का प्रावधान हमेशा नहीं रह सकता। इसे जल्‍द से जल्‍द खत्‍म करके अवसर देना चाहिए। इसके बजाय शिक्षा और समान अवसर का मौका देना चाहिए। इससे समाज में भेद का निर्माण हो रहा है।” आरएसएस के एक अन्‍य नेता दत्‍तात्रेय होसबोले ने वैद्य के बयान पर सफार्इ देते हुए कहा कि उनके कहने का मतलब है कि जब तक कुछ लोगों से भेदभाव होता रहेगा और सभी को समान अवसर नहीं मिलेंगे तब तक जाति आधारित आरक्षण जारी रहना चाहिए।

वैद्य के बयान पर राजद सुप्रीमो लालू यादव ने कहा कि इन लोगों को बिहार की तरह यूपी में भी धूल चटा देंगे। कांग्रेस प्रवक्‍ता रणवीर सिंह सुरजेवाला ने कहा कि मतों को बांटने और ध्रुवीकरण के लिए भाजपा और आरसएस की साजिश है। वे दलित और गरीब विरोधी हैं। प्रधानमंत्री को इस पर माफी मांगनी चाहिए। विवाद होने पर वैद्य ने कहा कि समाज में भेदभाव है तब तक आरक्षण रहेगा। संघ आरक्षण के पक्ष में हैं।

भाजपा के लिए उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले यह बयान संकट में डालने वाला हो सकता है। गौरतलब है कि 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण को लेकर दिया गया बयान भाजपा के लिए हार दिलाने वाला था। भागवत ने जातिगत आरक्षण की समीक्षा की बात कही थी। विपक्षी पार्टियों ने इस बयान के जरिए भाजपा को घेर लिया था। उनकी ओर से कहा गया था कि भाजपा आरक्षण को समाप्‍त करना चाहती है। चुनावों में इसके चलते भाजपा को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा था। बाद में उसके सहयोगी जीतनराम मांझी ने कहा भी था कि भागवत का बयान हार की वजह बना।

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