राजस्थान के विधानसभा चुनाव में अभी करीब डेढ़ साल बाकी है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा ने चुनावी तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस फिर से 2013 जैसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहती है। पार्टी अपनी रणनीति में बड़ा बदलाव करने के मूड़ में है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट से राजस्थान को लेकर लंबी चर्चा की।
सचिन पायलट का कहना है कि सोनिया गांधी को संगठन चुनाव, राजस्थान के राजनीतिक हालात पर फीडबैक दिया गया। हालांकि पिछले दो दशक से अधिक समय राजस्थान में सरकार रिपीट नहीं हो रही है। लेकिन इस मिथक को तोडऩे के लिए सारे नेता संगठित होकर चुनाव मैदान में उतरेंगे। पायलट ने कहा कि पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी, उसको निभाने के लिए वह तैयार है। पहले भी जो जिम्मेदारी दी गई थी, उसे निभाया है। उनका कहना था कि जिसे जो कहना है कहे वो अपना काम कर रहे हैं।
सचिन का कहना था कि 2013 में शर्मनाक हार के बाद उन्होंने सड़क पर उतरकर संघर्ष किया। वसुंधरा सरकार ने उनका हौसला तोड़ने के लिए लाठियां तक चलवाईं। कांग्रेस के लोगों की खूब रगड़ाई हुई। लेकिन फिर से पार्टी सत्ता में लौटी। पिछले पांच साल के दौरान तकरीबन हर चुनाव कांग्रेस ने जीता है। अब इस जोश को अगले विधानसभा चुनाव तक बनाए रखना है। उनका कहना है कि कैसे भी हो कांग्रेस सरकार फिर से बनानी है।
पायलट ने बोलते समय "रगड़ाई" शब्द दो बार बोला, पूरा जोर देकर दोहराया pic.twitter.com/Bw6mAfZEW0
— Avdhesh Pareek (@Zinda_Avdhesh) July 11, 2022
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी चुनावों को देख राजस्थान में खासी सक्रिय हो रही है। सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले जैसे नेता वहां खासी रुचि ले रहे हैं। उदयपुर में टेलर कन्हैयालाल की हत्या के मद्देनजर बने माहौल को लेकर इस बैठक को अहम माना जा रहा है।
हर पांच साल बदल जाती है सत्ता
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 156 सीटें जीती थी, लेकिन 2003 में पार्टी महज 56 सीट पर सिमट गई थी। जबकि 2008 में कांग्रेस ने 96 सीटें जीत कर सरकार बनाई थी। पांच साल बाद 2013 में पार्टी 21 सीट पर सिमट गई थी। ऐसा फिर से न हो इसके लिए कांग्रेस डेढ़ साल पहले ही रणनीति में बदलाव कर सकती है। कांग्रेस परंपरागत रणनीति छोडकर नए क्लवेर में नजर आ सकती है। आलाकमान भी इसमें रुचि दिखा रहा है।