राजस्थान में तीन साल से शासन कर रही भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल से जातीय समीकरण तो सध गए, पर क्षेत्रीय असंतुलन अभी भी बरकरार है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने दलित, आदिवासी और पिछडेÞ वर्ग के विधायकों की सरकार में नुमाइंदगी बढ़ा दी है। मंत्रिमंडल में अभी भी आधा दर्जन से ज्यादा जिलों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। राज्य में दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजे ने शनिवार को यहां अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। मुख्यमंत्री ने बडेÞ पैमाने पर अपने मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव कर कई ताकतवर मंत्रियों का कद घटा दिया। राजे ने आधा दर्जन नए चेहरों को मंत्रिमंडल में स्थान देने के साथ दो राज्यमंत्रियों को भी जातीय आधार पर तरक्की की देकर केबिनेट स्तर का मंत्री बना दिया।

इसके अलावा दो मंत्रियों की सरकार से छुट्टी कर उन्हीं के वर्गों के विधायकों को लाल बत्ती देने की नीति भी अपनाई। राजे ने प्रदेश के कई जिलों में अपना प्रभाव रखने वाली यादव जाति से अलवर जिले के विधायक जसवंत यादव को केबिनेट मंत्री के तौर पर शामिल किया। यादव समाज की लंबे अरसे से मांग भी थी कि उनके वर्ग के किसी विधायक को मंत्री बनाया जाए। इसे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने मंत्रिमंडल के तीसरे विस्तार में पूरा किया। राजे ने दलित तबके के राज्य मंत्री बूंदी जिले के बाबू लाल वर्मा को पदोन्नत कर केबिनेट स्तर के मंत्री की शपथ दिलवाई। इसी तरह नागौर जिले के सहकारिता राज्य मंत्री अजय सिंह किलक को भी राज्य मंत्री से केबिनेट स्तर का बनाया गया। किलक जाट वर्ग से हैं और प्रदेश की राजनीति में जाटों का बड़ा प्रभाव है। सीकर जिले के बंशीधर बाजिया को भी राज्य मंत्री बना कर जाट वर्ग को साधने का प्रयास किया है।

मंत्रिमंडल से हटाए गए जीतमल खांट की जगह उनके ही आदिवासी वर्ग से सुशील कटारा और धन सिंह रावत को राज्यमंत्री बना कर इस वर्ग को भाजपा के साथ मजबूती से जोडे रखने की कोशिश की गई है। उदयपुर संभाग में पिछले चुनाव में आदिवासी तबके ने कांग्रेस का साथ छोड़ कर भाजपा को बडी संख्या में विधायक दिए हैं। जोधपुर जिले से दलित वर्ग के अर्जुनलाल गर्ग को हटा कर भोपालगढ़ की दलित महिला विधायक कमसा मेघवाल को मंत्री बनाया गया है। भाजपा के तीन बार विधायक और दो बार सांसद रहे चित्तौड़गढ जिले के श्रीचंद कृपलानी को केबिनेट मंत्री बना कर सिंधी समाज को खुश करने की कवायद की गई है।

सिंधी समाज भाजपा का परंपरागत समर्थक रहा है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जातीय समीकरण तो पूरे साधे पर फेरबदल में कई जिले अछूते रह गए। इनमें कोटा, करौली, धौलपुर, झुंझनूं, टोंक, जालोर, भीलवाड़ा, जैसलमेर जिले ऐसे हैं, जहां भाजपा को बड़ा समर्थन मिला था, इसके बावजूद इन जिलों से एक भी मंत्री नहीं बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने विस्तार के बाद मंत्रियों के विभागों में जो फेरबदल किया उसमें कई दागदार विभागों के मंत्री बदल दिए गए। इनमें सबसे ज्यादा चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़ और जलदाय मंत्री किरण माहेश्वरी पर गाज गिरी है। इन दोनों महकमों में जबरदस्त घूसखोरी के मामले उजागर हुए थे। इसके चलते ही राठौड़ से चिकित्सा महकमा लेकर कालीचरण सर्राफ और माहेश्वरी से जलदाय विभाग लेकर सुरेंद्र गोयल को दिया गया है।