देश भर में भाजपा की किरकिरी कराने वाले प्रकरण में आलाकमान के दखल के बाद वसुंधरा सरकार झुक गई और राजमहल पैलेस होटल के दरवाजे की बंद सील को खोल दिया गया। उत्तर प्रदेश में भाजपा को नुकसान पहुंचने के अंदेशे के चलते ही भाजपा आलाकमान ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दखल दिया। केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह को जयपुर भेज कर समस्या का फौरन समाधान निकालने को कहा था। सिंह ने भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और राजमहल पैलेस की वारिस भाजपा विधायक दीया कुमारी से लंबी मंत्रणा कर होटल के मुख्य दरवाजे पर जयपुर विकास प्राधिकरण की तरफ से लगाई गई सील को रविवार को खुलवा दिया। इससे फिलहाल मामला ज्यादा तूल पकड़ने से बच गया है।
प्रदेश की जनता के लिए पहेली बने राजमहल पैलेस होटल के विवाद में रविवार को चौंकाने वाला मोड़ आया। जयपुर विकास प्राधिकरण ने रविवार सवेरे अचानक ही इस विवादित जगह पर लगाई सील खोल दी। पूर्व राजपरिवार की इस संपत्ति की 12 बीघा से ज्यादा बेशकीमती जमीन पर प्राधिकरण ने 24 अगस्त को अपना कब्जा कर लिया था। राजमहल को लेकर ही पूर्व राजपरिवार और सरकार में ठन गई थी। पूर्व राजपरिवार की बेटी और भाजपा विधायक दीया कुमारी की मौके पर ही प्राधिकरण के आयुक्त शिखर अग्रवाल से तीखी तकरार भी हो गई थी। इसको लेकर ही राजपूत समाज के संगठन और अन्य संगठन भी सरकार के विरोध में खडे हो गए थे। मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ लिया था और पूर्व राजपरिवार ने यहां एक सितंबर को बडी रैली निकाल अपनी ताकत भी दिखाई थी। इसकी अगुआई पूर्व राजमाता और विधायक दीया कुमारी की मां पदमनी देवी ने की थी। दीया कुमारी ने इस प्रकरण पर सरकार की शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी की थी। राजपूत संगठनों ने भाजपा को चेतावनी दी थी कि इस अपमान को सहन नहीं किया जाएगा और उत्तर प्रदेश चुनाव में भी यह मामला असर डालेगा। इसके बाद ही भाजपा आलाकमान हरकत में आया और सौदान सिंह को जयपुर भेजा गया।
जयपुर विकास प्राधिकरण के अफसरों ने रविवार को छुट्टी के दिन राजमहल पैलेस की सील को खोल दिया। इससे पहले भाजपा आलाकमान के भेजे दूत सौदान सिंह और पूर्व राजपरिवार व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच चली लगातार बैठकों के दौर चले। सरकार ने भी मसले को लेकर एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई। इसमें उद्योग मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर, संसदीय कार्य मंत्री राजेंद्र राठौड़, नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत के साथ ही प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी भी शामिल थे। इस कमेटी ने कानूनी राय लेकर एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी। इसी के आधार पर रविवार को राजमहल के गेट खोलने का फैसला किया गया। यह गेट वैकल्पिक रास्ता तैयार होने तक अस्थायी तौर पर खोलने का फैसला सरकार के स्तर पर हुआ। इससे पहले इस जगह पर प्राधिकरण के कब्जे के बोर्ड लगा दिए गए थे। इस मामले में गेट खोलने से पहले नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने साफ तौर पर कहा था कि प्राधिकरण की कार्रवाई पूरी तरह से सही है। पूर्व राजमाता पदमनी देवी ने शनिवार शाम को यहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात कर उन पर पूरा भरोसा भी जताया था। भाजपा संगठन मंत्री सौदान सिंह भी लगातार मुख्यमंत्री के संपर्क में रहे। पूर्व राजपरिवार की सील खोलने की मांग को सरकार ने पूरा कर दिया है और अब प्राधिकरण आयुक्त शिखर अग्रवाल को हटाने वाली मांग पर भी जल्द कोई निर्णय होने के आसार है।
’राजमहल को लेकर ही पूर्व राजपरिवार और सरकार में ठन गई थी। पूर्व राजपरिवार की बेटी और भाजपा विधायक दीया कुमारी की मौके पर ही प्राधिकरण के आयुक्त शिखर अग्रवाल से तीखी तकरार भी हो गई थी। इसको लेकर ही राजपूत समाज के संगठन और अन्य संगठन भी सरकार के विरोध में खडेÞ हो गए थे। मामले ने जबरदस्त तूल पकड़ लिया था और पूर्व राजपरिवार ने यहां एक सितंबर को बडी रैली निकाल अपनी ताकत भी दिखाई थी।
’दीया कुमारी ने इस प्रकरण पर सरकार की शिकायत केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी की थी। राजपूत संगठनों ने भाजपा को चेतावनी दी थी कि इस अपमान को सहन नहीं किया जाएगा और उत्तर प्रदेश चुनाव में भी यह मामला असर डालेगा। इसके बाद ही भाजपा आलाकमान हरकत में आया और सौदान सिंह को जयपुर भेजा गया।
