जयपुर के पूर्व राजपरिवार के राजमहल पैलेस होटल की जमीन पर सरकार के कब्जा विवाद से भाजपा आलाकमान चिंतित हो उठा है। राजपूतों की नाराजगी का असर उत्तर प्रदेश के चुनावों पर पड़ने की आशंका के चलते भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अब इस मामले के समाधान में जुट गया है। इसके लिए पार्टी ने राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह को विशेष जिम्मेदारी सौंप जयपुर भेजा है। सिंह ने यहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व राजपरिवार की बेटी व भाजपा विधायक दीया कुमारी से प्रकरण पर उनका पक्ष सुना।  दीया कुमारी ही राजमहल पैलेस की वारिस है और पिछली 24 अगस्त को जयपुर विकास प्राधिकरण ने इस पर कब्जा लेकर मुख्य दरवाजे को सील कर दिया था। इस दौरान प्राधिकरण के आयुक्त शिखर अग्रवाल और विधायक दीया कुमारी में तगड़ा विवाद हो गया था। इसे राजपूत समाज ने अपना अपमान माना और एक सितंबर को जयपुर में बड़ी रैली कर अपनी ताकत भी दिखाई थी। इस दौरान ही राजपूत संगठनों ने सरकार और भाजपा को चेतावनी दी थी कि उनकी मांगों को नहीं माना गया तो उत्तर प्रदेश का राजपूत समाज भी उसके विरोध में खड़ा हो जाएगा।

राजमहल विवाद के तूल पकड़ने के बाद भाजपा आलाकमान ने इसे गंभीरता से लिया है। भाजपा विधायक दीया कुमारी ने इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को सरकार की शिकायत की थी। इसके बाद ही राष्ट्रीय संगठन मंत्री सौदान सिंह को जयपुर भेज इसका कोई हल निकालने की कमान सौंपी गई। सौदान सिंह ने शुक्रवार को पार्टी दफ्तर में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से करीब चार घंटे तक गहन मंत्रणा की। इससे पहले सिंह ने विधायक दीया कुमारी से भी विस्तार से जानकारी हासिल की। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी ने भी सौदान सिंह को संगठन से जुडेÞ मामलों की जानकारी दी।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि सौदान सिंह दोनों पक्षों से सहमति बना कर समाधान का रास्ता ढूंढ रहे हैं। दूसरी तरफ सरकार अपनी कार्रवाई को सही ठहरा रही है। उसका कहना है कि जयपुर विकास प्राधिकरण ने कानूनी तौर पर सही काम किया है। दूसरी तरफ इस मामले में भाजपा विधायक और पूर्व राजपरिवार की बेटी दीया कुमारी खुल कर नहीं बोल रही है। पर उनकी तरफ से राजपूत संगठनों और उनकी मां पदमनी देवी इसे उनका अपमान करार दे रही है। संगठनों की मांग है कि प्राधिकरण के आयुक्त शिखर अग्रवाल को हटाया जाए। इसके साथ ही जमीन से जुडेÞ विवादों का हल अदालत के जरिए ही हो।

सूत्रों का कहना है कि सौदान सिंह ने दोनों पक्षों को कहा कि इस मामले को ज्यादा तूल नहीं दिया जाए। इससे पार्टी और सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है। भाजपा को उत्तर प्रदेश जैसे अहम राज्य में चुनाव का सामना करना है। यह चुनाव भाजपा के लिए खासा अहम है। उत्तर प्रदेश की राजनीति में राजपूत जैसा अगड़ा वर्ग अभी भाजपा के साथ है। राजस्थान का विवाद उन्हें कहीं भाजपा से अलग नहीं कर दें, इस लिहाज से समस्या का जल्द निपटारा किया जाए। दीया कुमारी को भी सार्वजनिक तौर पर कोई बयान नहीं देने को कहा गया है। इस मामले में प्रदेश भाजपा किसी भी तरह से कोई बयान नहीं दे रही है। सरकार की तरफ से नगरीय विकास मंत्री राजपाल सिंह शेखावत ने ही सरकार का पक्ष रखते हुए प्राधिकरण की कार्रवाई को जायज ठहराया है।