राजीव जैन
देश की आजादी के 72 साल बाद भी राजस्थान की ग्रामीण आबादी की पहुंच सरकारी बसों तक नहीं है और मजबूरन उन्हें सफर तय करने के लिए निजी बसों की सुविधाएं लेनी पड़ रही है। राज्य के 20 हजार गांव अब भी सरकारी बस सेवा से वंचित है। इन इलाकों को बस सेवा से जोड़ा जाए तो सरकार को 2 हजार बसों की जरूरत होगी। वहीं, राजस्थान रोडवेज की हालत बहुत खराब है और मौजूदा समय में साढेÞ चार हजार करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है। राजस्थान की सार्वजनिक परिवहन सेवा पूरी तरह से लूट खसोट का अड्डा बन चुकी है। प्रदेश में दस साल पहले सभी ग्राम पंचायतों को बस सेवा से जोड़ने की कवायद भी शुरू हुई थी। लेकिन निजी बस ऑपरेटरों के दबाव और रोडवेज के लगातार घाटे में चलने के कारण सरकार की योजना धरी की धरी रह गई। नौकरशाही की लापरवाही के कारण प्रदेश की परिवहन सेवा पूरी तरह से निजी हाथों में पहुंच गई है।
2012 में हुए एक सर्वे में यह सामने आया था कि राज्य में 5 हजार ग्राम पंचायत मुख्यालय बस सेवा से वंचित है। इनमें से करीब साढ़े चार हजार पंचायतों में सड़कों की जो हालत थी उसके मुताबिक उन्हें ग्रामीण बस सेवा से जोड़ा जा सकता था। इसके लिए बस संचालन पीपीपी मॉडल बनाकर 244 कलस्टर बनाए गए और उनके लिए निविदा भी मांगी गई थी। फिर ग्रामीण बस सेवा से वर्ष 2013 में 2428 पंचायतों को जोड़ा गया। निजी बस आॅपरेटर की 440 बसों के जरिए 1525 ग्राम पंचायत और रोडवेज से 903 पंचायतों को जोड़ा गया। इसके बाद भी 3 हजार ग्राम पंचायतें बसों से वंचित रह गईं। घाटे की वजह से सरकार ने इन मार्गों पर बसों का संचालन सात साल पहले ही बंद कर दिया है। रोडवेज ने इन बसों का संचालन ग्रामीण इलाकों से बंद कर राष्ट्रीयकृत मार्गों पर शुरू कर रखा है।
परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि ‘सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को सस्ती और सुविधाजनक बस सेवा उपलब्ध कराने के प्रयास में लगी हुई है। इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर बस स्टैंड निर्माण को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके लिए भूमि का निशुल्क आबंटन करवाने की नीति बनाई जा रही है। रोडवेज का घाटा चिंताजनक स्थिति में पहुंच गया है। राजस्थान रोडवेज को फिर से पटरी पर लाने के तमाम प्रयास किए जा रहे है। इसके लिए रोडवेज के श्रमिक और कर्मचारियों के संगठनों से निरंतर संवाद किया जा रहा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्द ही सार्वजनिक परिवहन सेवा से वंचित ग्राम पंचायतों को बसों से जोड़ा जाएगा। इसके लिए रोडवेज में नई बसों की खरीद के साथ निजी बस मालिकों को भी आगे लाया जाएगा।
दूसरी तरफ राजस्थान रोडवेज श्रमिक और कर्मचारी संगठनों के संयुक्त महासंघ के अध्यक्ष एमएल यादव का कहना है कि प्रदेश में किसी भी दल की सरकार हो, उसकी मंशा यह कभी नहीं रही कि सार्वजनिक परिवहन सेवा को मजबूत किया जाए। रोडवेज में रिटायर श्रमिकों और कर्मचारियों को उनके पेंशन के साथ ही अन्य परिलाभ तक नहीं दिए जा रहे है। रोडवेज के श्रमिक संस्थान को बचाने के लिए लंबे अरसे से संघर्ष कर रहे है। सरकार पूरी तरह से रोडवेज की मदद करें तो निश्चित ही प्रदेश के सभी ग्रामीण अंचलों में लोगों को सस्ती और सुविधाजनक परिवहन बस सेवा मुहैया हो सकती है।

