जहां बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने 1 अप्रैल से शराब पर बैन कर दिया तो वहीं दूसरी ओर राजस्थान में शराब पर अब महिलाओं द्वारा जंग छिड़ गई है। दरअसल, शराब के ठेके को बंद कराने के लिए करीब चार माह पहले यानी 26 जनवरी को राज्य के कछाबली गांव की महिलाओं ने शराब से मुक्ति के लिए एक प्रपोजल पेश किया, जिसमें उन्होंने कहा कि गांव में शराब के नशे में लोग औरतों के साथ बुरा बर्ताव करते हैं, उनके साथ मारपीट करते हैं, तो कई लोग ज्यादा सेवन करने से मरते हैं, औरतें विधवा हो रही हैं तो वहीं बच्चे अनाथ हो रहे हैं।
लिहाजा ऐसा ज्यादातर घरों में होता है लेकिन बोलता कोई नहीं। ऐसे में पिछले कुछ महीनों से राजस्थान में शराबबंदी अब एक बड़ा मुद्दा बन गया है। गौरतलब है कि बीते साल नंबवर में 4 महा तक शराबबंदी के लिए आंदोलन करने पूर्व विधायक गुरशरण छाबडा ने भी आंदोलन किया। उन्होंने काफी लंबे समय तक अनशन किया था, लेकिन नंबवर में उनकी मौत हो गई।
अब इस आदंलोन को गांव की सीता देवी नाम की महिला की आगे बढ़ा रही हैं। सीता ने भी शराब के ठेके को बंद करने के लिए 4 माह पहले किया गया एक प्रपोजल अब एक मुहिम बन चुका है। गांव की महिलाओं ने पहले यह प्रस्ताव ग्राम सभा में पास करवाया, फिर बाद में मामला जिला कलेक्टर तक पहुंचा। इस प्रपोजल पर 27 फरवरी को करीब 1,600 लोगों ने अपने हस्ताक्षर कर शराब के ठेके पर अपनी सहमित जताई। तो दूसरी ओर मजदूर किसान शक्ति संगठन, मगरा शक्ति सेना जैसे सिविल सोसायटी ऑर्गेनाइजेशन भी मुहिम को काफी सपोर्ट किया है।
सभी महिलाओं ने एकत्रित होकर एसडीएम को लेटर भेजकर प्रस्ताव पर किए गए हस्ताक्षरों की जांच करवाई। इसके बाद आबकारी विभाग को सूचित किया गया और फिर उनकी अनुमति लेने के बाद जिला प्रशासन ने दारू का ठेका बंद होना चाहिए या नहीं इस पर मतदान करवाया। बता दें कि मतदान के दौरान एसडीएम भी वहां मौजूद रहे।
शराबबंदी के लिए हो रहे मतदान के लिए गांव में 9 पोलिंग बूथ लगाए गए और मतदान सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक चला। कुल 2886 मतदाताओं में से 2039 ने वोट डाले, जिनमें से 1937 ने दारू का ठेका बंद करवाने पर अपनी मुहर लगा दी। बता दें कि मुहिम की शुरुआत में आबकारी विभाग के नियमों के अनुसार अगर 51% मतदाता दारू का ठेका बंद करवाने के लिए वोट डालने होंगे, तभी इलाके से ठेका हटाया जा सकते थे। लेकिन गांव में मतदान का परिणाम 51 से कहीं ज्यादा हुआ। महिला सरपंच गीता देवी की पहल पर यहां मंगलवार को हुए अनूठे मतदान में 95 प्रतिशत लोगों ने शराब की दुकानें हटाने के पक्ष में वोट डाला।
शराबबंदी को लेकर महिलाओं में काफी उत्साह दिखा। मतदान में कुल 67 % लोगों ने मतदान किया। राज्य में संभवत: यह पहला मौका है, जब किसी आम चुनाव की तरह शराबबंदी के लिए मतदान की प्रक्रिया अपनाई गई। लिहाजा अब ऐसे में फिलहाल राजस्थान के एक गांव में जंग छिड़ी, हो सकता है इसके बाद पूरे राज्य में भी शराबबंदी को लेकर बड़ी मुहिम छिड़े।