राजस्थान सरकार ने राज्य में प्राकृतिक आपदा से हुए फसल, पशुधन व अन्य नुकसान का आकलन करने के लिए आए केंद्रीय अध्ययन दल के साथ राज्य कोे राहत पैकेज देने के मुद्दों को लेकर गहन चर्चा की। राहत व सहायता मंत्री गुलाबचंद कटारिया ने एक बैठक में कहा कि राज्य के 19 जिलों में 50 फीसद से अधिक फसल खराब और एक जिले में 33 फीसद फसल खराब होने के आकलन के बाद 14 हजार 487 गांवों को अभावग्रस्त घोषित करते हुए किसानों और पशुपालकों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से 10 हजार 500 करोड़ रुपए की सहायता का आग्रह राजस्थान सरकार की ओर से किया गया है।
उदयपुर में बैठक में कटारिया ने बताया कि राज्य के 24 लाख किसानों को सरकार ने बडी राहत प्रदान करते हुए सभी भुगतान सीधे बैंक खातों में जमा कराने का प्रावधान किया है। उन्होंने बताया कि पेयजल की कमी का आकलन मार्च में ही हो पाएगा जहां बारिश नहीं के बराबर हुई है वहां पूर्व में ही राहत के प्रयास करने होंगे। राष्ट्रीय को ऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉपोरेशन की प्रबंध निदेशक वसुधा मिश्रा ने कहा कि पेयजल के अभाव वाले क्षेत्रों का आकलन समय रहते कर लिया जाए और इसके लिए जरूरी धनराशि की मांग का आग्रह किया जाए।
मिश्रा ने बताया कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों का केंद्रीय दल ने दौरा कर स्थिति का आकलन किया है। उन्होंने केंद्र से राजस्थान को पर्याप्त सहायता स्वीकृत कराने की दिशा में सकारात्मक भूमिका निभाने का भरोसा दिलाया। राजस्थान के आपदा प्रबंधन व राहत विभाग के आयुक्त रोहित कुमार ने बताया कि राजस्थान में 32 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसल खराब हुई है जिसमें 36 लाख काश्तकार प्रभावित हुए हैं। साथ ही पशुओं के लिए चारा, चिकित्सा, पेयजल व पुनर्वास के लिए सहायता के प्रस्ताव किए गए हैं। बैठक में कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने बताया कि 60 में से 50 साल राज्य ने अकाल का सामना किया है। सरकार ने कृषकों को फसली नुकसान का मुआवजा भी दिया है। साथ ही कृषक फसल बीमा जैसी योजनाओं ने भी कृषकों को संबल दिया हैं।