राजस्थान में मचे सियासी बवाल के बीच मंत्री परसादी मीणा लाल ने कहा है कि सरकार को बचाने वाले 102 विधायकों की सलाह ली जानी चाहिए और सीएम थोपा नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री का चुनाव गलत हुआ तो इसका खामियाजा राजस्थान की जनता को भुगतना पड़ेगा।
दरअसल, कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर राजस्थान की सरकार में उथल-पुथल मची हुई है। इसके चलते अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बने रहने पर संशय बना हुआ है। राहुल गांधी संकेत दे चुके हैं कि गहलोत अगर अध्यक्ष बने तो उन्हें सीएम पद छोड़ना पड़ेगा। इस बीच गहलोत खेमे के विधायकों ने संयुक्त इस्तीफा देने की बात कही थी और सचिन पायलट को सीएम बनाने पर भी असहमति जताई है।
परसादी मीणा लाल का कहना है कि पहले अध्यक्ष पद का चुनाव हो जाए और अगर गहलोत के हाथों में पार्टी की कमान आती है फिर डेमोक्रेटिक सिस्टम से विधायकों की बात सुनकर मुख्यमंत्री का चुनना चाहिए। उन्होंने कहा, “जिन 102 विधायकों ने सरकार बचाने का काम कया था। वो अशोक गहलोत ही थे जिन्होंने सरकार बचाई। वरना कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश तो चला गया। अब अगर सरकार बचाने वाले अध्यक्ष बन जाए। उसके बाद निश्चित रूप से सीएम बदले हमें कोई ऐतराज नहीं।”
उन्होंने कहा कि विधायकों का बस यही कहना है कि पहले वन-टू-वन उनकी बात सुनी जाए और फिर उनकी राय के अनुसार 19 अक्टूबर के बाद हाईकमान सोनिया गांधी जो फैसला करेंगी उसको हम मानेंगे।
बता दें किअशोक गहलोत के वफादार करीब 90 विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और इन्होंने कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल होने से भी इन्कार कर दिया था। गहलोत के समर्थकों के इस कदम से आलाकमान बेहद नाराज है। सीपी जोशी ने कहा कि कांग्रेस विधायकों ने अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को बताया है कि 2020 में बगावत करने वालों में से कोई भी मुख्यमंत्री नहीं बने। हालांकि, सचिन पायलट खेमे ने राजस्थान में चल रहे इस सियासी ड्रामे पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इस गुट को उम्मीद है कि पायलट को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा।