राजस्थान में राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा की कड़ी निगरानी के बावजूद उसके खेमे के दो विधायकों के विपक्षी उम्मीदवार को वोट देने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मामले को राष्ट्रीय नेतृत्व ने गंभीर मान पाला बदलने वाले विधायक की पहचान कर उसके खिलाफ कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं। पार्टी के निर्देशों के उलट वोट डालने वालों में एक तो भाजपा का विधायक है तो दूसरा निर्दलीय विधायक है। ऐसे में भाजपा अपने विधायक के खिलाफ तो कार्रवाई कर सकती है पर निर्दलीय के मामले में कुछ नहीं कर सकती।
राज्यसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने विधायकों की बाडेÞबंदी की थी और इसमें उसके चार समर्थित निर्दलीय विधायक भी शामिल थे। इसके अलावा उसे जमींदारा पार्टी की दो विधायकों का भी साथ मिल गया था। इसके हिसाब से पार्टी उम्मीदवारों को वोट देने की वरीयता नेतृत्व ने निर्धारित कर दी थी। इसके लिए तीन दिन तक विधायकों को तगड़ा प्रशिक्षण भी दिया गया था। इसके बावजूद जमींदारा पार्टी के एक विधायक का वोट निरस्त हो गया था तो भाजपा के साथ ही एक निर्दलीय विधायक का वोट कांग्रेस समर्थित निर्दलीय मोरारका के पक्ष में गिर गया था। विपक्षी खेमेें की भाजपा में हुई सेंधमारी को लेकर ही पार्टी नेतृत्व चिंतित हो गया है।
भाजपा की इलाहाबाद में चल रही राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में गए प्रदेश नेतृत्व भी इस मामले को लेकर आला नेताओं से सलाह मशविरा कर रहा है। प्रदेश से उम्मीदवार बनाए गए केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू ने तो यहां जीत के बाद चुनाव अधिकारी से इस मामले को लेकर जानकारी भी मांगी थी। पार्टी के चुनावी प्रबंधन को देख रहे नेताओं का कहना है कि इस प्रकरण की गहराई से पड़ताल की जा रही है।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। पार्टी नेताओं की तरफ से अलवर जिले के विधायक धर्मपाल चौधरी के साथ ही सीकर जिले के निर्दलीय विधायक नंदकिशोर महरिया पर शक जताया जा रहा है।
निरस्त वोट वाली जमींदारा पार्टी की विधायक सोना देवी बावरी का कहना है कि उनसे घबराहट के चलते ही गलत निशान लग गया। उनका कहना है कि वो पूरी तरह से भाजपा के साथ हैं। दूसरी तरफ भाजपा के कुछ नेता अब क्रास वोटिंग करने वाले विधायक के बचाव में भी आ गए हैं। उनका मानना है कि ऐसी गलती मानवीय भूल के कारण हुई है। विधायक से जल्दबाजी के कारण कहीं चूक हो गई होगी। ऐसे नेताओं के बचाव में आने के कारण ही प्रदेश नेतृत्व इस मामले में कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता है।