राजस्थान में सियासी घमासान के बीच अब हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई है। इसमें राज्यपाल कलराज मिश्र को हटाने की मांग की गई है। यह जनहित याचिका एडवोकेट शांतनु पारिख ने दायर की है। इसमें केंद्र सरकार को भी पक्ष बनाया गया है। एडवोकेट शांतनु का कहना है कि अगर सरकार कह रही है कि विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए तो फिर इस पर राज्यपाल सत्र बुलाने के लिए बाध्य हैं।
एडवोकेट शांतनु ने कहा कि सरकार बहुमत में नहीं है तो राज्यपाल विशेष सत्र बुला सकते हैं। सरकार के पास बहुमत है तो वह कैबिनेट नोट से विधानसभा सत्र बुला सकती है। जो राज्यपाल ने कैबिनेट को जो नोट भेजा है वह भी संविधान का उल्लंघन है, इसलिए मैंने केंद्र सरकार को पक्षकार बनाया है। इससे वह राष्ट्रपति को सलाह दें कि राज्यपाल को तुरंत हटाया जाए। आज याचिका दाखिल की गई है। यह कल या परसों तक कोर्ट में लग जाएगी।
इस बीच, कांग्रेस ने दावा किया कि सचिन पायलट गुट के कुछ विधायक उसके संपर्क में हैं। कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री अविनाश पांडे ने कहा कि राजस्थान में जारी गतिरोध के बीच पार्टी सभी उपलब्ध लोकतांत्रिक उपायों का इस्तेमाल करेगी।
उन्होंने कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के कई विधायक कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं। पांडे ने कहा, ‘जैसाकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संकेत दिया है कि जरूरत पड़ी तो, सभी जनप्रतिनिधियों के साथ राष्ट्रपति के सामने जाकर उनसे भी गुहार लगाएंगे और लोकतंत्र की रक्षा करेंगे।’ इसके साथ ही पांडे ने कहा कि सचिन पायलट खेमे के कुछ विधायक कांग्रेस नेताओं के संपर्क में हैं।
सचिन पायलट गुट के विधायक हेमाराम चौधरी ने दावा किया कि अशोक गहलोत खेमे के 10-15 विधायक हमारे संपर्क में हैं। चौधरी ने बताया कि गहलोत खेमे के उन 10-15 विधायकों का कहना है कि यदि उन्हें आजाद कर दिया गया तो वे सचिन पायलट की तरफ आ जाएंगे। अगर गहलोत विधायकों को छोड़ देते हैं तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि कितने विधायक उनके पक्ष में बने हुए हैं।
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असम में पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई समेत कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी के राष्ट्रव्यापी 'लोकतंत्र बचाओ, संविधान बचाओ' अभियान के तहत सोमवार को गुवाहाटी में विरोध प्रदर्शन किया।
शहर के एक वकील ने राजस्थान उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर राज्यपाल कलराज मिश्र को हटाने के लिये राष्ट्रपति को सलाह देने का केंद्र को निर्देश जारी करने का अनुरोध किया है। राज्य में जारी राजनीतिक खींचतान के बीच यह याचिका दायर की गई। याचिका दायर करने वाले शांतनु पारीक का दावा है कि राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर विधानसभा का सत्र आहूत नहीं करके राज्यपाल अपना संवैधानिक कर्तव्य निभाने में असफल रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं ने राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार गिराने की भाजपा की कथित कोशिश के खिलाफ यहां राजभवन तक मार्च करने का प्रयास किया। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस प्रमुख डी. के. शिवकुमार समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने शिवकुमार, विपक्ष के नेता सिद्धरमैया, प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष ईश्वर खांडरे, सलीम अहमद समेत कई नेताओं को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति कार्यालय से राजभवन मार्च करने के दौरान बीच रास्ते में ही रोक लिया।
अशोक गहलोत के पक्ष में: 88 कांग्रेस, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी, 1 आरएलडी, 1 सीपीएम = कुल 102
सचिन पायलट के साथ : 19 बागी कांग्रेस के, 3 निर्दलीय = कुल 22
भाजपा और समर्थक : 72 भाजपा, 3 आरएलपी = कुल 75
माकपा : 1 (गिरधारी मईया फिलहाल सबसे अलग हैं।)
राजस्थान कांग्रेस में जारी सियासी संग्राम के बीच पायलट खेमे ने वीडियो जारी कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट पर हमला बोला। विधायक हेमाराम चौधरी ने रणदीप सुरजेवाला के बयान पर पलटवार किया। सुरजेवाला ने बयान में कहा था कि पायलट खेमे के विधायक उनके संपर्क में हैं। पायलट खेमे के विधायक 48 घंटे में यहां पहुंच जाएंगे। इस पर हेमाराम ने कहा, हमारे यहां सभी 19 विधायक एकजुट हैं। सुरजेवाला ऐसा बयान इसलिए दे रहे हैं कि गहलोत खेमे में हताशा है। उन्हें दिलासा देने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं।
इस ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘पिछले कुछ समय से विधायकों की खरीद फरोख्त करके एवं अन्य भ्रष्ट आचरण के माध्यम से लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई राज्य सरकारों को अपदस्थ करने के भाजपा और इसके नेताओं के कुत्सित प्रयास न सिर्फ देश के लोकतंत्र को कमजोर कर रहे हैं, बल्कि देश के संविधान की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं।
कांग्रेस और उससे संबद्ध विधायकों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन भेजा। इस ज्ञापन में आरोप लगाया है कि अनेक प्रांतों के राज्यपाल अपने पद की गरिमा की चिंता किए बिना केंद्र में सत्ताधारी पार्टी के इशारे पर संविधान की घोर अवहेलना कर रहे हैं। इसमें राजस्थान के राज्यपाल द्वारा विधान सभा का सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दिए जाने का भी जिक्र करते हुए राष्ट्रपति से हस्तपेक्ष करने एवं राज्य सरकार को विधान सभा का सत्र आहूत करने की अनुमति दिलाने की अपील की गई है।
दरअसल, विधानसभा सत्र बुलाना तो बहाना है। अशोक गहलोत विधेयक लाकर व्हिप जारी कराना चाहते हैं कि जो बागी बिल के खिलाफ वोट देंगे उनकी सदस्यता रद्द होगी। इसीलिए राज्यपाल को जो पत्र दिया, उसमें फ्लोर टेस्ट का जिक्र नहीं। 19 सदस्यों की विधायकी गई तो बहुमत के लिए 92 विधायक चाहिए जो सरकार के पास हैं।
अशोक गहलोत सरकार ने राजभवन ले जाकर विधायकों की परेड करवाई। इसमें 102 का आंकड़ा दिया। इनमें कांग्रेस के 88, निर्दलीय 10, बीटीपी के 2, सीपीएम और आरएलडी का एक-एक विधायक है। यदि इतने विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार का साथ देते हैं तो सरकार बहुमत हासिल कर लेगी। हालांकि, यदि 2 से 5 विधायक भी छिटके यानी इधर-उधर हुए तो सरकार खतरे में आ जाएगी।
राजस्थान में विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार और राजभवन के बीच जारी गतिरोध के खिलाफ सोमवार को उत्तर प्रदेश के राजभवन के सामने धरना-प्रदर्शन कर रहे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। पार्टी के प्रदेश मीडिया संयोजक ललन कुमार ने बताया कि राजस्थान में भाजपा द्वारा 'लोकतंत्र की हत्या' के खिलाफ राजभवन पर धरना देने पहुंचे प्रदेश अध्यक्ष अजय लल्लू और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया समेत करीब 150 कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि जैसे ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लल्लू, पार्टी राज्यसभा सदस्य पुनिया और उनके साथियों ने राजभवन के मुख्य द्वार के सामने धरना प्रदर्शन शुरू किया, पुलिस ने उन्हें फौरन गिरफ्तार कर लिया। देर शाम सभी को मुचलके पर रिहा कर दिया गया। लल्लू ने कहा कि ऐसे वक्त जब देश महामारी के संकट से जूझ रहा है, सत्तारूढ़ भाजपा उससे निपटने के प्रभावी उपाय करने के बजाए चुनी हुई सरकारों को गिराने में जुटी है।
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने राज्यपाल को कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, अलग-अलग विधानसभाओं में ऐसी कुछ परिस्थितियां आईं हैं, जब विश्वास मत के लिए अचानक सत्र बुलाना पड़ा, ऐसे में राज्यपाल कहते थे कि जल्दी 3 दिन के अंदर सत्र बुलाया जाए, यहां (राजस्थान) राज्यपाल की हर तरह से कोशिश है कि सत्र को देरी से बुलाया जाए या न बुलाया जाए।
राजस्थान विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने राज्य सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा- ये (अशोक गहलोत खेमा) फ्लोर टेस्ट नहीं कराना चाहते, उससे पहले 19 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने का तरीका ढूंढ़ रहे हैं। इसलिए विधानसभा गए, राजस्थान हाई कोर्ट गए, सुप्रीम कोर्ट गए और इसलिए राज्यपाल के पास जा रहे हैं।
बता दें कि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ 'सवालों' के साथ सरकार को वापस भेजा है। राजभवन सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने कैबिनेट की पत्रावली कुछ सवालों के साथ लौटाई है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता सलमान खुर्शीद, अश्विनी कुमार और कपिल सिब्बल ने राजस्थान के राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में संवैधानिक जिम्मेदारी से हटना ठीक नहीं होगा, इससे संकट खड़ा हो जाएगा। पी चिदंबरम ने कहा कि राज्यपाल ने संसदीय लोकतंत्र को कमजोर किया है। मुख्यमंत्री बहुमत साबित करना चाहें तो उनका रास्ता कोई नहीं रोक सकता। वे सत्र बुलाने के हकदार हैं।
गुजरात कांग्रेस के लगभग 60 कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। इन नेताओं का यह कसूर था कि वे राजस्थान में जारी सियासी संकट को लेकर भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। सूबे की राजधानी गांधीनगर में कांग्रेस कार्यकर्ता जब विरोध स्वरूप राजभवन की ओर मार्च कर रहे थे, तभी उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में कानून मंत्री रहे कांग्रेस के तीन वरिष्ठ नेताओं कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद और अश्वनी कुमार ने सोमवार को राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से कहा कि राज्य मंत्रिमंडल की अनुशंसा पर विधानसभा सत्र बुलाने में विलंब करने से संवैधानिक गतिरोध पैदा हुआ है जिसे पहले ही टाला जा सकता था। उन्होंने मिश्र को पत्र लिखकर यह आग्रह भी किया कि वह अशोक गहलोत मंत्रिमंडल की सिफारिश पर विधानसभा सत्र बुलाएं क्योंकि ऐसा नहीं करने से संवैधानिक संकट पैदा होगा। उन्होंने 2016 के ‘नबाम रेबिया मामले’ और 1974 के ‘शमशेर सिंह बनाम भारत सरकार’ मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्णय का हवाला देते हुए कहा कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सलाह पर विधानसभा सत्र बुलाना चाहिए।
राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य में कांग्रेस पार्टी के साथ 6 बसपा विधायकों के विलय के खिलाफ भाजपा द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।
कांग्रेस की दिल्ली इकाई के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार को गिराने के भाजपा के कथित प्रयास के खिलाफ सोमवार को यहां प्रदर्शन किया। हालांकि, इन लोगों को पुलिस ने उस वक्त हिरासत में ले लिया जब इन्होंने उप राज्यपाल के कार्यालय की तरफ बढ़ने की कोशिश की। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार के नेतृत्व में पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। कुमार ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन राजस्थान में भाजपा के ‘लोकतंत्र एवं संविधान विरोधी कदमों’ के खिलाफ था। उन्होंने कहा, ‘‘हम उप राज्यपाल महोदय को बताना चाह रहे थे कि भाजपा और केंद्र की उसकी सरकार किस तरह से राजस्थान में लोकतंत्र की हत्या कर रही हैं। परंतु, दिल्ली पुलिस ने हमें उप राज्यपाल के कार्यालय की तरफ बढ़ने से पहले ही रोक दिया है।’’
कांग्रेस के प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी राज्यपाल पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को राज्य सरकार के मंत्रियों की सलाह से ही काम करना चाहिए, लेकिन वे दिल्ली में बैठी केंद्र सरकार के आकाओं की ही आवाज सुन रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष को हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की सोमवार को अनुमति दी, जिसमें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए जा चुके सचिन पायलट और कांग्रेस के 18 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही 24 जुलाई तक स्थगित करने के लिए कहा गया था। विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली पीठ को बताया कि राजस्थान हाई कोर्ट ने 24 जुलाई को नया आदेश दिया और वे कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। सिब्बल ने याचिका वापस लेते हुए पीठ से कहा कि अध्यक्ष को बागी विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने की कार्यवाही स्थगित करने के लिए कहने संबंधी हाई कोर्ट के 21 जुलाई के आदेश पर शीर्ष अदालत ने रोक नहीं लगाई, जिसके कारण इस याचिका का अब कोई औचित्य नहीं है। जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे एक अन्य वकील सुनील फर्नांडीस ने कहा, ‘नई विशेष अनुमति याचिका दायर करने की स्वतंत्रता और सभी विकल्पों को खुला रखते हुए याचिका वापस ली गई है।’
राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण से सोमवार को सात और लोगों की मौत हो गयी, जिससे राज्य में संक्रमण से मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 631 हो गई है। इसके साथ ही राज्य में संक्रमण के 448 नये मामले सामने आने से राज्य में इस घातक वायरस से संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 36,878 हो गयी है, जिनमें से 10,124 रोगी उपचाराधीन हैं। एक अधिकारी ने बताया कि सोमवार को बीकानेर में तीन, अजमेर में दो एवं भरतपुर में दो और संक्रमित लोगों की मौत हो गई। इससे राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की कुल संख्या 631 हो गई है।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का राज्य मंत्रिमंडल का संशोधित प्रस्ताव कुछ 'सवालों' के साथ सरकार को वापस भेजा है। राजभवन सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि राज्यपाल ने कैबिनेट की पत्रावली कुछ सवालों के साथ लौटाई है।
कांग्रेस ने कहा कि पार्टी देश के सभी राजभवनों के बाहर सोमवार को विरोध प्रदर्शन करेगी। राजस्थान के कांग्रेस प्रमुख गोविंद डोटासरा ने कहा कि राजस्थान को छोड़कर सभी राज्यों में राजभवनों के बाहर कल प्रदर्शन होगा। कांग्रेस का यह ऐलान राजस्थान के राज्यपाल को चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है। डोटासरा ने कहा है कि हमने विधानसभा सत्र शुरू करने के लिए राज्यपाल को नया प्रस्ताव भेजा है और उम्मीद है कि हमें जल्द ही इसके लिए मंजूरी मिल जाएगी।
सीएम गहलोत ने कहा कि राजस्थान के अंदर जिस प्रकार से राज्यपाल महोदय से सरकार विधानसभा में जाने के लिए परमीशन मांग रही है...सत्ताधारी पार्टी हमेशा रिलक्टेंट रहती है, विपक्ष मांग करता है, यहां हम मांग कर रहे हैं अभी तक उसका जवाब नहीं आ रहा है। मैं उम्मीद करता हूं महामहिम राज्यपाल बहुत ही पुराने राजनीतिज्ञ भी हैं, मिलनसार हैं, व्यवहार कुशल हैं और उनके पद की बहुत बड़ी गरिमा है, संवैधानिक पद है... वो जल्द ही, शीघ्र ही हमें आदेश देंगे, हम Assembly बुलाएंगे।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने रविवार को राजस्थान के राज्यपाल से वहां की कांग्रेस सरकार की राज्य विधानसभा की बैठक आयोजित करने की मांग को मानने का आग्रह किया। कांग्रेस के ''स्पीक अप फॉर डेमोक्रेसी अभिोंयान के तहत रविवार को जारी वीडियो में ंिसह ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार की मांग को संवैधानिक बताया।
बसपा ने राजस्थान विधानसभा में अपने 6 विधायकों- आर गुढ़ा, लाखन सिंह, दीप चंद, जेएस अवाना, संदीप कुमार और वाजीब अली, को कार्यवाही के दौरान अविश्वास प्रस्ताव में कांग्रेस के खिलाफ वोट डालने के निर्देश दिया है। पार्टी की ओर से इसका व्हिप जारी कर दिया गया है।
भाजपा ने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बयान का लेकर उन पर पलटवार करते हुए रविवार को कहा कि संविधान और लोकतंत्र की हत्या का नाम ही कांग्रेस पार्टी है, जबकि इसे बचाये रखने का काम भगवा पार्टी ने किया है।
कांग्रेस ने राजस्थान के राज्यपाल पर राज्य विधानसभा का सत्र बुलाने संबंधी अशोक गहलोत सरकार की मांग पर ‘‘सतही और प्रेरित’’ सवाल उठाकर ‘‘लोकतंत्र को बाधित करने का सबसे खराब तरीका’’ अपनाने का रविवार को आरोप लगाया।कांग्रेस ने राजभवन के सामने सोमवार को प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन वापस लिया जयपुर, 26 जुलाई (भाषा) राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच राजस्थान कांग्रेस पार्टी ने एक बड़े बदलाव के तहत सोमवार को ‘संविधान और लोकतंत्र को बचाने’ के लिये राजभवन के सामने प्रस्तावित अपना प्रदर्शन वापस ले लिया है।
कांग्रेस नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने रविवार को कहा कि बाकी राज्यों और मध्य प्रदेश में राज्यपाल महोदय कहते हैं कि फ्लोर टेस्ट कराओ और राजस्थान में कैबिनेट मांग कर रहा है कि फ्लोर टेस्ट कराना है, तो उसे अनुमति नहीं दी जा रही। 70 साल के इतिहास में पहली बार मंत्रिमंडल फ्लोर टेस्ट देना चाहता है, परन्तु अनुमति नहीं मिल रही।
कांग्रेस ने राजस्थान संकट को लेकर भाजपा पर ठीकरा फोड़ना जारी रखा है। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है कि पिछले 15 दिन से हमने देखा कि कैसे राजस्थान में एक चुनी हुई सरकार को अस्थिर करने के प्रयास किए जा रहे हैं और कौन-कौन इसमें शामिल हैं। इससे पहले मार्च में कमलनाथ जी की सरकार और उससे पहले कर्नाटक में क्या हुआ, ये हम जानते हैं।
कांग्रेस राजस्थान संकट को लेकर लगातार भाजपा पर हमलावर हो रही है। रविवार को पार्टी के कई नेताओं ने #SpeakUpForDemocracy हैशटैग ट्रेंड कराया। इसी बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि आज पूरा मुल्क चिंतित है क्योंकि डेमोक्रेसी खतरे में है।#SpeakUpForDemocracy प्रोग्राम जो चलाया गया इसके मायने हैं, इसका अपना सन्देश है, उसको एक तरफ आम जनता को भी समझना पड़ेगा और दूसरी तरफ जो हुकूमत में हैं उनको भी समझना पड़ेगा। आज जिस प्रकार का माहौल देश के अंदर है वो चिंताजनक है।
राजस्थान का राजनैतिक इतिहास रहा है कि वहां सत्ता पक्ष ही विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश करता रहा है और उसे सफलता भी मिली है। राजस्थान में अब तक 4 बार विभिन्न सरकारें विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश कर चुकी हैं। बता दें कि विपक्षी पार्टियों द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है और सत्ता पक्ष द्वारा अपनी स्थिति मजबूत दिखाने के लिए विश्वास प्रस्ताव पेश किया जाता है।
अब राजस्थान के मौजूदा राजनैतिक हालात जैसे बने हुए हैं, उसमें गहलोत अपनी स्थिति मजबूत करना चाहते हैं और यही वजह है कि वह विधानसभा का सत्र बुलाने पर अड़े हैं। इतिहास पर नजर डालें तो जिस तरह से पहले भी राजस्थान में सरकारें विश्वास प्रस्ताव लाकर सत्ता में बनी रहीं उसी तरह अशोक गहलोत सरकार भी सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद कर रही है।
राजस्थान में जारी सियासी संकट पर मध्य प्रदेश के नेताओं के भी लगातार बयान आ रहे हैं। अब राज्य के ही नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा पर संविधान पर कुठाराघात करने का और जनमत खरीदने का आरोप लगाया है।
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री मदन दिलावर ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने कांग्रेस में विलय के लिए बसपा के छह विधायकों को अयोग्य ठहराने की उनकी याचिका पर कोई कार्रवाई नहीं की है। दिलावर ने रविवार को एक बयान में कहा कि संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष बसपा विधायकों को अयोग्य करार किये जाने की याचिका 16 मार्च को प्रस्तुत की थी। उसके बाद 17 जुलाई को याचिका पर तुरंत कार्यवाही करने के लिये फिर से प्रार्थना की लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। बसपा के छह विधायकों संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेन्द्र अवाना और राजेन्द्र गुढ ने 2018 विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव जीता था। सभी विधायक सितंबर 2019 में बसपा छोडकर कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच राज्य में कोरोना के केस भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इस पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने चिंता जताई है। उन्होंने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1 जुलाई के बाद से राज्य में कोरोना के केस तिगुने हो गए हैं। उन्होंने संक्रमण को काबू में लाने के लिए सरकार को गंभीर होने के लिए कहा है। बता दें कि सीएम अशोक गहलोत ने हाल ही में गवर्नर को प्रस्ताव भेजकर 31 जुलाई को कोरोना पर चर्चा के लिए ही विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कहा है।
राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच राज्य में कोरोना के केस भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। इस पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने चिंता जताई है। उन्होंने सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1 जुलाई के बाद से राज्य में कोरोना के केस तिगुने हो गए हैं। उन्होंने संक्रमण को काबू में लाने के लिए सरकार को गंभीर होने के लिए कहा है। बता दें कि सीएम अशोक गहलोत ने हाल ही में गवर्नर को प्रस्ताव भेजकर 31 जुलाई को कोरोना पर चर्चा के लिए ही विधानसभा सत्र बुलाने के लिए कहा है।
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र को कैबिनेट की तरफ से भेजा गया विधानसभा सत्र 31 जुलाई से शुरू करने का प्रस्ताव मिल गया है। राजभवन के सूत्रों ने इसकी जानकारी दी है। बताया गया है कि गवर्नर ने शुक्रवार को ही कांग्रेस से सत्र बुलाने को लेकर छह बिंदुओं पर सफाई मांगी थी। इसके बाद शनिवार रात को कैबिनेट की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर पर बैठक हुई, जिसमें सत्र बुलाने के लिए नए प्रस्ताव का ड्राफ्ट मंजूर किया गया।
राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश पुनिया ने एक बार फिर सीएम अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। पुनिया ने ट्वीट कर लिखा कि 'जनता सब देख रही है; ईश्वर भी साक्षी है; आपका ईमान कैसे गवाही दे रहा है, कुर्सी की भूख ने आपको लोभी बना दिया है। कोरोना ही नहीं अपराध भी तेजी से बढ़ रहे हैं, क्या बाड़े में बैठे रहना ही लोकतंत्र है? शासन है? कांग्रेस बताए कब बाड़े से निकलेगी अशोक गहलोत सरकार?'
राजस्थान में जारी सियासी घमासान के बीच आज राज्य के मुख्य सचिव राजीव स्वरूप और डीजीपी भूपेंद्र यादव गवर्नर कलराज मिश्रा से मिलने राजभवन पहुंचे। बता दें कि कांग्रेस अब तक गवर्नर कलराज मिश्र पर भाजपा और केंद्र सरकार के निर्देश पर काम करने का आरोप लगा चुकी है। हाल ही में सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि अगर आम लोग इस संकट के बीच राज्यपाल भवन का घेराव करते हैं, तो उनकी जिम्मेदारी नहीं होगी। हालांकि, इस पर राज्यपाल ने कहा था कि अगर यह राज्य सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं होगी, तो मेरी रक्षा कौन करेगा। इससे जनता को गलत संदेश जाएगा।