राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक बार फिर अपने गृह क्षेत्र झालरापाटन से चुनाव मैदान में हैं। वहीं भाजपा छोड़कर हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए मानवेंद्र सिंह भी इसी सीट से चुनावी मैदान में हैं। शनिवार को ही कांग्रेस ने मानवेंद्र सिंह को झालरापाटन से चुनाव लड़ाने का ऐलान किया है। जिसके बाद झालरापाटन सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है। वसुंधरा राजे ने मानवेंद्र सिंह के झालरापाटन से चुनाव लड़ने की खिल्ली उड़ाते हुए कहा है कि “मैं सोच रही थी कि वो (कांग्रेस) धर्म या जाति का कार्ड खेलेंगे, लेकिन अब मुझे हैरानी हो रही है कि वो क्या करना चाहते हैं?” बता दें कि मानवेंद्र सिंह भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के बेटे हैं और कुछ समय पहले ही कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
भाजपा छोड़ने का कारण बताते हुए मानवेंद्र सिंह ने कहा था कि भाजपा ने उनके पिता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह को साल 2014 को लोकसभा चुनावों में बाड़मेर से टिकट ना देकर उनकी बेइज्जती की थी। जसवंत सिंह ने साल 2014 में बाड़मेर सीट से टिकट ना मिलने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और भाजपा उम्मीदवार कर्नल (रिटायर्ड) सोनाराम चौधरी से चुनाव हार गए थे। वहीं वसुंधरा राजे सिंधिया ने झालरापाटन से अपना नामांकन कर दिया है और नामांकन के बाद वसुंधरा राजे ने झालरापाटन में एक रोड शो भी किया और लोगों से उन्हें फिर से जीताने की अपील की।
बता दें कि वसुंधरा राजे सिंधिया साल 2003 से लगातार इस सीट से चुनाव जीतती आ रही हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे भी झालरापाटन सीट से सांसद हैं। झालरापाटन सीट पर वसुंधरा राजे के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साल 2003 के चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे राजेश पायलट की पत्नी और सचिन पायलट की मां रमा पायलट को 27 हजार के करीब वोटों से हराया था। इसके बाद साल 2008 और 2013 में भी वसुंधरा राजे झालरापाटन सीट से बड़े अंतर से चुनाव जीतती आ रही हैं। इस बार मानवेंद्र सिंह के चुनाव मैदान में उतरने से यहां मुकाबला काफी रोमांचक हो गया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए 7 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे, वहीं 11 दिसंबर को चुनावों का नतीजा घोषित होगा।