राजस्थान में कोरोनाकाल के दौरान लगभग दो महीने तक जारी रही राजनीतिक उठापटक को थमे कुछ ही समय हुआ है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य में अपनी स्थिति को और मजबूत करने में जुटे हैं। इसी कोशिश में उन्होंने पूर्व-उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के अधीन रहे लोक निर्माण विभाग (PWD) में प्रशासनिक स्तर पर कई बड़े बदलाव कर दिए हैं। वह भी तब, जब इस विभाग में पिछले कुछ समय से तबादले बैन थे। ऐसे में गहलोत के इस कदम को सचिन पायलट की ताकत को और कम करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

बताया गया है कि राजस्थान सरकार ने आदेश जारी कर 11 अतिरिक्त मुख्य अभियंता और 122 एक्जीक्यूटिव इंजीनियरों-जूनियर इंजीनियरों समेत कुल 140 अधिकारियों का ट्रांसफर कर दिया। यह सभी कर्मी पायलट के कार्यकाल के दौरान ही लगाए गए थे। इससे पहले सचिन पायलट के चुनावी क्षेत्र टोंक के कलेक्टर और एसपी को छोड़कर सभी विभागों के अफसरों का तबादला हो चुका है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पीडब्ल्यूडी कर्मचारियों का तबादला यूं ही नहीं हुआ। इसके लिए विधायक काफी लंबे समय से मांग उठा रहे थे। कई विधायकों का कहना था कि लोक निर्माण विभाग के अफसर और कर्मचारी उनकी बात नहीं सुनते। इसी को लेकर विधायकों ने सीएम अशोक गहलोत से शिकायत की थी।

गौरतलब है कि हाल ही में राजस्थान कांग्रेस के संगठन को व्यवस्थित करने के लिए पार्टी में तीन लोगों की कमेटी बनाई गई है। इसके जरिए ही प्रदेश कार्यकारिणी में फिर से नियुक्तियां की जानी हैं। हालांकि, हाल ही में गहलोत और पायलट के बीच जो तनाव पैदा हुआ था, उससे यह काम बिल्कुल भी आसान नहीं होगा। माना जा रहा है कि कार्यकारिणी चुनाव में अब सरकार बचाने वाले गहलोत का दबदबा रहेगा, जबकि बगावत करने वाले पायलट को कम ही जगह मिलेगी।