राजस्थान सरकार ने 10 दिसंबर को अपने कैबिनेट में दूसरी बार बड़ा फेरबदल किया। राज्य सरकार ने दलितों, जनजातियों और जाटों को सरकार में उचित प्रतिनिधित्व देने का दावा करते हुए मंत्रिमंडल में ये फेरबदल किए हैं लेकिन इसी बीच सरकार की बड़ी आलोचना नए मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल करने के तरीके को लेकर हो रही है। मंत्रिमंडल में नए मंत्रियों को शामिल करते समय सरकारी नोट में उनकी जाति बताई गई है। जाट नेता अजय सिंह को राज्य मंत्री से कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया है। उनके सरकारी नोट में ये लिखा गया कि अजय सिंह को मंत्री बनाने से जाट समुदाय की भागीदारी कैबिनेट में बढ़ी है और इससे जाट समुदाय के बीच एक पोजिटिव मेसेज जाएगा। अजय सिंह को सहकारी और गौपालन मंत्रालय दिया गया है।

इसी तरह मंत्री बाबू लाल वर्मा को भी कैबिनेट में प्रॉमोट किया गया है लेकिन सरकारी नोट में उनकी भी जाति का जिक्र किया गया। वर्मा के नोट में लिखा गया कि उनकी पदोन्नति से दलित और बैरवा समुदाय में सकारात्मक संदेश जाएगा। वर्मा को राज्य सरकार में खाद्य और कंस्यूमर अफैयर्स विभाग दिया गया है। इससे पहले उनके पास स्टेट ट्रांस्पोर्ट विभाग था। ठीक इसी तरह श्रीचंद कृप्लानी के सरकारी नोट में उन्हें सिंधी समुदाय का बड़ा नेता बताया गया। वहीं जसवंत सिंह यादव का जयपुर, अजमेर, बीकानेर, कोटा और भरतपुर जैसे इलाकों में यादव समुदाय पर खासा प्रभव है। सरकारी नोट में उनके कैबिनेट में आने से यादव समुदाय का प्रतिनिधित्व
बढ़ने की बात कही गई।

इसके अलावा बंशीधार बजीया, कमसा मेघवाल, धान सिंह रावत और सुशील कटारा को भी कैबिनेट में जगह दी गई है और इनकी जातियों को भी सरकारी नोट में हाईलाइट किया गया। साथ ही संसदीय सचिव क्षत्रुघ्न गौतम और नरेंद्र नागर की गौड़ ब्रह्मिण और गुर्जर जातियों को भी हाईलाइट किया गया और इसी तरह से ओम प्रकाश हुडला, भीमा भाई दामोर और कैलाश वर्मा की जातियों को भी बताया गया। मंत्रियों की जाति बताने पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि यह बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है।