दिल्ली पुलिस ने आज कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की ‘‘जासूसी’’ के आरोप फिर से खारिज करते हुए कहा कि शारीरिक बनावट की जानकारी जुटाना पुरानी और नियमित प्रक्रिया है।

पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी ने कुछ पूर्व दिल्ली पुलिस प्रमुखों द्वारा मीडिया में जताई गई इन शंकाओं को दूर करने का प्रयास किया जिनमें उनके हवाले से कहा गया था कि उन्हें इस तरह की प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं है।

बस्सी ने कहा कि एक बड़ा संगठन होने के नाते, यह जरूरी नहीं कि पुलिस प्रमुख के संज्ञान में हर बात लाई जाए। बस्सी ने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘दिल्ली पुलिस बहुत बड़ा संगठन है। बड़ी संख्या में क्रियाकलाप होते हैं। ये नियमित क्रियाकलाप हैं जो शीर्ष पदासीन व्यक्ति के संज्ञान में आ भी सकते हैं और नहीं भी। इस मामले में भी, ‘प्रोफार्मा’ बनाया गया और उन्हें (नियमित रूप से) रखा जाता है, यह मेरे संज्ञान में उस समय आया जब यह मामला विवादित हुआ।’’

बस्सी ने कहा, ‘‘मैं अपने पूर्व अधिकारियों को यह नहीं जानने के लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकता कि इस तरह का ‘प्रोफार्मा’ होता है। मुझे आश्चर्य नहीं कि मेरे पूर्व अधिकारियों को इस बहुत मौलिक नियमित क्रियाकलापों की जानकारी नहीं है।’’

बस्सी ने सलाह दी कि इसका ‘‘बहुत ज्यादा’’ मतलब नहीं निकालने की जरूरत नहीं और कहा, ‘‘कई सारी चीजें होती हैं, इसलिए संगठन का नेतृत्व करने वाला व्यक्ति संगठन से जुड़े बड़े मुददों या संकट प्रबंधन में व्यस्त हो सकता है। इस तरह की जानकारियां लेने में कुछ गलत नहीं है।’’

पुलिस के अनुसार, मध्य दिल्ली में रहने वाले सांसदों का एक ‘प्रोफार्मा’ के जरिये सर्वेक्षण करना वर्ष 1960 के दशक की पुरानी परंपरा है जिसकी कई मौकों पर समीक्षा हुई है।

दिल्ली पुलिस के दो कर्मियों रामेश्वर दयाल और शमशेर सिंह ने हाल में इस ‘प्रोफार्मा’ के साथ राहुल के घर का दौरा किया था और सवाल पूछे थे कि वह कैसा दिखते हैं और उनकी आंखों का रंग क्या है।