कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर फिर तंज कसा है। इस बार उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को निशाना बनाया है। पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘आरएसएस के विचार का उद्देश्य महिलाओं को निशक्त बनाने से है। क्या कोई जानता है कि आरएसएस में कितने प्रमुख पदों पर महिलाएं हैं? एक भी नहीं। यदि आप महात्मा गांधी की तस्वीर देखेंगे तो आप उनके दाएं और बाएं महिलाओं को पाएंगे। लेकिन, यदि आप मोहन भागवत की तस्वीरों को देखेंगे तो या तो वह अकेले नजर आएंगे या फिर पुरुषों से घिरे हुए।’ यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस अध्यक्ष ने आरएसएस में महिलाओं की स्थिति पर बयान दिया है। पिछले साल अक्टूबर में गुजरात दौरे के दौरान राहुल ने महिलाओं के बीच में ही सवाल पूछा था, ‘आरएसएस की शाखा में आपने एक भी महिला को शॉर्ट्स पहने हुए देखा है? मैंने तो कभी नहीं देखा। आखिर संघ में महिलाओं को आने की अनुमति क्यों नहीं है। बीजेपी में कई महिलाएं हैं, लेकिन आरएसएस में मैंने किसी महिला को नहीं देखा।’ वरिष्ठ आरएसएस नेता मनमोहन वैद्य ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि राहुल गांधी पुरुष हॉकी मैच में महिला को देखना चाहते हैं। उन्हें महिला हॉकी मैच में जाना चाहिए। मालूम हो कि आरएसएस में महिलाओं की अलग विंग है, जिसे राष्ट्र सेविका समिति कहा जाता है। सिर्फ दिल्ली में ही इसकी 100 से ज्यादा शाखाएं हैं।
RSS idea aimed at dis-empowering women. Does anyone know many leadership positions are with women in RSS? Zero. If you see pix of Mahatma Gandhi you'll find women on this side (right), this side (left) but if you see pix of Mohan Bhagwat, he'll be alone or surrounded by men: RG pic.twitter.com/52xSDReDLc
— ANI (@ANI) January 31, 2018
Just by finding women on this side(left) and this side(right) doesn't mean those women or women in general are empowered. How many female ministers were there in Indira's cabinet?
— Meena (@meenabg) January 31, 2018
@OfficeOfRG को ये नही पता है की RSS पुरूषो का संगठन है। महिलाओ के लिए RSS की महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति है।
पता नही जानकारी लिए बिना कुछ भी बोलने वाला ये लोग राजनीती में आते ही क्यों है @RSSorg @BJP4India @INCIndia— Gautam Chakrabarty (@GautamChakraba6) January 31, 2018
RaGa is correct… BJP doesn't believe in women employment like Congress… that's why Modi Govt has highest number of women and dalit MPs since independence… https://t.co/qmdL95akb6
— wittycatty (@wittycatty) January 31, 2018
राहुल गांधी के इस बयान पर आरएसएस समर्थकों ने कड़ी प्रतिक्रिया जताई है। मीना ने लिखा, ‘दोनों तरफ महिलाओं के होने का मतलब यह नहीं है कि महिलाएं सशक्त हो जाती हैं। इंदिरा गांधी के कैबिनेट में कितनी महिला मंत्री थीं?’ गौतम चक्रवर्ती ने ट्वीट किया, ‘राहुल गांधी को यह नहीं पता कि आरएसएस पुरुषों का संगठन है। महिलाओं के लिए आरएसएस की महिला संगठन राष्ट्र सेविका समिति है। पता नहीं जानकारी लिए बिना कुछ भी बोलने वाले ये लोग राजनीति में आते ही क्यों हैं।’ विरेंद्र पुरी ने लिखा, ‘राहुल गांधी अपने नाना जवाहरलाल नेहरू का संदर्भ देना भूल गए जो कई बार लेडी माउंटबेटन के बगल में नजर आते थे। महात्मा गांधी और नेहरू द्वारा अपने बगल में महिलाएं रखने से क्या महिलाओं का सशक्तीकरण हो गया?’ गोविंद शर्मा ने ट्वीट किया, ‘इसका मतलब यह हुआ कि हर व्यक्ति जो अपने आसपास महिलाएं रखता है और उन्हें थाम कर चलता है वह महिलाओं को सशक्त बना रहा है? यह कैसा बयान है?’ वहीं, विशाल त्यागी ने लिखा, ‘मैं यह जानता ही नहीं था कि खिलजी अपने हरम में महिलाओं को रखकर उनका सशक्तीकरण कर रहा था। राहुल गांधी, मेरी आंखें खोलने के लिए आपका धन्यवाद।’
गुजरात में राहुल गांधी के बयान के बाद आरएसएस के पदाधिकारियों ने शाखा में महिलाओं के नहीं आने का कारण बताया था। उन्होंने बताया था कि सुबह जल्दी उठकर शाखा जाना और कठिन व्यायाम करना महिलाओं के लिए सहज नहीं है। संघ के वरिष्ठ नेता मनमोहन वैद्य ने कहा था कि महिलाओं की भागीदारी पर अक्सर चर्चा होती है। लेकिन, खेलों और शाखाओं में टाइमिंग के चलते महिलाओं के लिए शाखा में शामिल होना संभव नहीं है। ऐसे में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए राष्ट्र सेविका समिति काम करती है। सेविका समिति द्वारा प्रतिदिन दोपहर में शाखाएं लगाई जाती हैं।