यूपी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की बागी विधायक अदित सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। अदिति सिंह रायबरेली से विधायक हैं, और पहले गांधी परिवार के काफी करीब मानी जातीं थीं।
अदिति सिंह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, और जीत हासिल करके पहली बार विधानसभा पहुंचीं थीं। सिंह पांच बार विधायक रहे दिवंगत कांग्रेस नेता अखिलेश सिंह की बेटी हैं। इनके बीजेपी में शामिल होने से कांग्रेस के उस गढ़ में सेंध लग सकती है, जहां अभी तक बीजेपी नहीं घुस पाई थी।
अदिति सिंह भले ही 2017 में कांग्रेस विधायक के रूप में विधानसभा पहुंचीं थीं। लेकिन कई मौकों पर वो अपनी ही पार्टी की जमकर आलोचना करती दिखीं थीं। कई बार उन्हें भाजपा और योगी सरकार की तारीफ और समर्थन करते हुए देखा जा चुका है। इसके साथ ही अदिति एक से अधिक मौकों पर यूपी विधानसभा में भाजपा के पक्ष में मतदान भी कर चुकी हैं।
कोरोना के समय लॉकडाउन में जब कांग्रेस ने प्रवासी मजदूरों के लिए 1000 बसों की व्यवस्था करने की बात कही थी और बसें यूपी बॉर्डर पर पहुंच गई थी, तब अदिति सिंह ने इसकी तीखी आलोचना की थी। इसके बाद ही अदिति सिंह को कांग्रेस ने पार्टी की महिला विंग से निलंबित कर दिया था। हालांकि अभी तक वो पार्टी में बनीं हुईं थीं, लेकिन पार्टी ने एक तरह से उनसे किनारा ही कर रखा था।
पिछले साल जुलाई में, यूपी विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने अदिति सिंह को अयोग्य घोषित करने की कांग्रेस पार्टी की मांग को खारिज कर दिया था। रायबरेली के विधायक द्वारा महात्मा गांधी के 150वें जन्मदिन के अवसर पर यूपी सरकार द्वारा आयोजित एक विशेष विधानसभा सत्र में भाग लेने के बाद इन्हें अयोग्य घोषित करने के लिए कांग्रेस की ओर से एक पत्र अध्यक्ष को लिखा गया था। इस सत्र का कांग्रेस ने विरोध किया था।
ये पहली बार नहीं था जब अदिति सिंह ने पार्टी की लाइन से हटकर काम किया हो। इसस पहले उन्होंने धारा 370 को निरस्त करने सहित कई मुद्दों पर भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का समर्थन किया था।