हिमाचल प्रदेश के सौंदर्य को निहारने और मैदानी क्षेत्रों में पड़ने वाली प्रचंड गर्मी से निजात पाने के लिए देश विदेश से सालाना लाखों सैलानियों आते हैं। गाड़ियों में चलते हुए खाद्य पदार्थों के अपशिष्ट यानी उगलन जिसमें प्लास्टिक, लिफाफे, छिलके और अन्य तरह की गंदगी को वह सड़कों पर फेंकते हैं। ऐसे में सरकार ने पर्यटकों की इस आदत को देखते हुए सख्त निर्णय लिया है। अब सभी टैक्सियों, कारों, वाणिज्यक वाहनों, बसों में कूड़ादान रखना अनिवार्य कर दिया गया है।
इसके लिए दी गई समय सीमा भी समाप्त हो गई है और अब पहली मई से प्रदेश में ऐसे किसी भी वाहन, जिसमें कूड़ा रखने का प्रावधान नहीं होगा के भारी भरकम चालान किए जाने की शुरुआत हो चुकी है। प्रदेश के मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने बाकायदा इस बारे में संबंधित विभागों के साथ बैठक करके इसे सख्ती से लागू करने के आदेश दे दिए हैं।
प्राइवेट कारों को मिली राहत
प्लास्टिक कचरा प्रबंधन एवं पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की 1986 की धारा 5 और हिमाचल प्रदेश जीव अनाशित कूड़ा कचरा नियंत्रण अधिनियम 1995 की धारा 3 क की उपधारा 1 के तहत लोक जल निकास और मलन्ययन कूड़ा कचरा फेंकने पर प्रतिबंध लगा दिया है और सभी वाहनों में कूड़ा डालने के लिए कोई भी व्यवस्था जैसे टोकरी, थैला आदि रखना अनिवार्य कर दिया गया है। केवल निजी कार को छोड़ कर बाकी किसी भी वाहन में अगर ऐसा नहीं पाया गया तो 1500 रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
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सैलानी पर्यटक स्थलों पर फैलाते हैं गंदगी
हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन समेत बाहर से आने वाली बसों में भी यह जरूरी होना चाहिए। कुछ सालों से ऐसे बहुत से वीडियो सोशल मीडिया पर साझा हुए हैं, जिनमें पर्यटक खाने-पीने की चीजों, उनके छिलके, खाली बोतलें सड़क पर फेंकते हुए जाते हैं। इसी तरह से एचआरटीसी और अन्य बड़े वाहनों में मूंगफली से लेकर अन्य जो भी खाद्य सवारी खाती है, जिनमें केला, संतरा या अन्य फल भी होते हैं कि के छिलके वाहन में या फिर खिड़की खोल कर सड़क पर उछाल दिए जाते हैं। यह प्रदेश के वातावरण व पर्यावरण के खिलाफ माना गया है। इससे जगह-जगह गंदगी फैल रही है। इसे देखते हुए ही सरकार ने यह कड़ा कदम उठाया है।
ऐसे में प्रदेश में आने वाले सभी पर्यटक और अन्य काम से आने वालों के लिए सतर्कता रखनी होगी कि वह अपने साथ लाए खाद्य पदार्थों के कचरे को गाड़ी में लगे कूड़ादान में ही डाले। अगर, किसी वाहन मालिक ने कूड़ादान नहीं लगाया है तो उसे भी मोटे चालान के लिए तैयार रहना होगा। पर्यावरण संरक्षण में एक और कदम आगे बढ़ाते हुए हिमाचल प्रदेश की सुक्खू की सरकार ने 1 जून से 200 एमएल वाली पानी की बोतलें पूरी तरह से बंद करने के आदेश दे दिए हैं। पढ़ें- देश दुनिया की तमाम बड़ी खबरों के लेटेस्ट अपडेट्स
(बीरबल शर्मा की रिपोर्ट)