पंजाब में आम आदमी पार्टी की भगवंत मान की सरकार अनिवासी भारतीयों के हित में एक नई नीति लेकर आ रही है। इसमें सरकार लोक अदालतों का गठन कर उसमें शादी, भूमि विवादों का जल्द निपटारा करने की कोशिश करेगी। इस बात की जानकारी देते हुए राज्य के कैबिनेट मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने बुधवार को कहा कि राज्य सरकार अनिवासी भारतीयों (NRI) के लिए एक नई नीति लाने जा रही है, ताकि उनके मुद्दों को प्रभावी ढंग से हल किया जा सके।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने चंडीगढ़ में एनआरआई विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता की तथा उनके और एनआरआई आयोग पंजाब के सदस्यों के साथ नई अनिवासी भारतीय नीति के मसौदे पर चर्चा की।

धालीवाल ने कहा कि पंजाब सरकार ने एनआरआई पंजाबी युवाओं को उनकी जड़ों से जोड़ने के लिए एक कार्यक्रम शुरू किया है। सरकार एनआरआई पंजाबी बुजुर्ग लोगों को राज्य के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थानों की मुफ्त यात्रा कराने के लिए एक कार्यक्रम भी शुरू करेगी।

सभी विवाद आपसी सहमति से मौके पर ही निपटाए जाएंगे

एनआरआई मामलों के मंत्री ने कहा कि उनके मुद्दों को हल करने के लिए नागरिक लोक अदालतों की तर्ज पर एनआरआई लोक अदालतों की स्थापना के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन अदालतों में भूमि और विवाह के विवाद विशेष रूप से आपसी सहमति से मौके पर ही निपटाए जाएंगे, जिसे कानूनी मान्यता मिलेगी.

बैठक में लिया गया एक और महत्वपूर्ण निर्णय यह था कि मुख्यमंत्री भगवंत मान से अनुरोध किया जाएगा कि वे एनआरआई के मुद्दों की त्वरित सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी के रूप में पंजाब सिविल सेवा स्तर के अधिकारी को तैनात करें।

आमतौर पर एनआरआई की भूमि पर अतिक्रमण के कई मामले होते हैं, और एनआरआई को राहत देने के लिए, यह निर्णय लिया गया है कि एनआरआई की सहमति के बिना ‘गिरद्वारी’ के परिवर्तन को रोकने के लिए एक कानून पेश किया जाएगा।

यह भी निर्णय लिया गया कि एनआरआई पंजाबियों को कानूनी सहायता देने के लिए महाधिवक्ता कार्यालय से वकीलों का एक पैनल नियुक्त किया जाएगा। उन्होंने कहा, “एनआरआई जरूरत पड़ने पर इन वकीलों से कानूनी सहायता ले सकेंगे।”