पंजाब विधानसभा चुनाव में हार के बाद शिरोमणि अकाली दल के भीतर नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोर पकड़ती दिखाई दे रही है। हालिया विधानसभा चुनावों में पार्टी की हार के कारणों का विश्लेषण करने के लिए अकाली दल द्वारा गठित समिति को संगठनात्मक ढांचे के साथ-साथ शीर्ष नेतृत्व में बदलाव को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रियाएं मिली हैं। सुखबीर सिंह बादल पार्टी के मौजूदा अध्यक्ष हैं।

पैनल ने इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 13 सदस्यों की एक उप-समिति बनाई थी, जिसको दो समूहों में बांटा गया था। सदस्यों ने द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि सभी निर्वाचन क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं ने अकाली दल को दोबारा मजबूत करने के लिए नेतृत्व में ‘बदलाव’ की मांग की थी। 24 मार्च को गठित किए गए पैनल के दो हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने की संभावना है।

पार्टी को लगातार दूसरे विधानसभा चुनाव में शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा और 117 सदस्यों वाली विधानसभा में पार्टी 15 से खिसककर तीन पर आ गई। वहीं, केवल दूसरे विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने ऐतिहासिक बहुमत हासिल किया जहां पार्टी ने 92 सीटों पर कब्जा जमाया, जिसे बदलाव के लिए और पुरानी, ​​मजबूत पार्टियों और नेताओं के खिलाफ वोट के रूप में देखा गया था।

वहीं, सदस्यों का कहना है कि कार्यकर्ताओं ने “बादल परिवार शासन” के बजाय पार्टी में लोकतंत्र और “सामूहिक नेतृत्व” की आवश्यकता पर जोर दिया है। कार्यकर्ताओं ने कहा कि बादल परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप पार्टी को नीचे ले जा रहे हैं। उप-समिति के एक सदस्य ने कहा कि कई लोगों ने उन्हें बताया कि 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की महिला को 1,000 रुपये देने के AAP के वादे ने अकाली समर्थकों को विभाजित किया और कट्टर अकाली कार्यकर्ताओं के परिवार के सदस्यों ने भी विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को वोट किया।

अकाली कार्यकर्ताओं द्वारा विधानसभा चुनावों में हुए नुकसान के जिन कारणों को चिन्हित किया गया, उनमें गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाएं, अकाल तख्त द्वारा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को दी गई माफी शामिल है। इसके अलावा, विवादास्पद सुमेध सिंह सैनी की डीजीपी के रूप में बहाली (बेअदबी विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी के बाद हटा दिया गया) मुद्दे शामिल हैं। कार्यकर्ताओं को लगता है कि इन सभी मुद्दों ने अकाली दल को नुकसान पहुंचाया, जो अपनी पंथिक साख पर बहुत अधिक भरोसा करता है।

अकाली नेता और उप-समिति के अध्यक्ष इकबाल सिंह झुंडन ने कहा, ‘हमें जो फीडबैक मिला है, उसके आधार पर हम रिपोर्ट सौंपेंगे, जो पार्टी और पंजाब के हितों पर ध्यान केंद्रित करने वाला होगा। हम कुछ नहीं छिपाएंगे।” शीर्ष स्तर पर बदलाव को लेकर पूछे गए सवाल पर झुंडन ने कहा, “इस समय हम ऐसा नहीं कह सकते। विस्तृत चर्चा के बाद रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा। लेकिन, लोग चाहते हैं कि अकाली दल अपनी मूल विचारधारा की तरफ लौटे ताकि पंजाब और पंथिक मुद्दों का सही तरीके से प्रतिनिधित्व किया जा सके। अगर अकाली दल अपनी पुरानी परंपराओं की तरफ लौटता है तो लोग फिर से समर्थन करने के लिए तैयार हैं।”