अमृतसर के शिक्षक पंकज शर्मा ने खगोलीय क्षेत्र में तीन क्षुद्र ग्रह खोज निकाला है। कांगड़ा कालोनी निवासी पंकज शर्मा को राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने राष्ट्रीय पुरस्कार देने की घोषणा की है। देश के अलग-अलग राज्यों से 28 अध्यापकों में से उन्हें चुना गया है। पंकज को यह पुरस्कार शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए शिक्षा में नवाचार पद्धति और प्रयोग में उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है।

पंकज सरकारी माध्यमिक स्कूल में विज्ञान की शिक्षक हैं। उन्होंने तीन क्षुद्र ग्रह (एस्ट्रायड) ढूंढे हैैं और इन क्षुद्र ग्रह को अपने नाम पर रजिस्टर्ड करवाने का गौरव भी हासिल किया है। यह क्षुद्र ग्रह शोध नेशनल एरोनाटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) की ओर से प्रायोजित था। इंटरनेशनल एस्ट्रानामिकल सर्च कोआपरेशन के तहत नासा स्पेस एजंसी के तत्वावधान में विपनेट (विज्ञान प्रसार, भारत सरकार) के सहयोग से अखिल भारतीय एस्ट्रायड खोज कार्यक्रम : इग्नाइटेड माइंडस स्काईएएसी सप्तऋषि इंडिया अभियान चलाया गया। इस अभियान में चयनित होने वाले पंजाब के तीन वैज्ञानिकों में से अध्यापक पंकज शर्मा भी शामिल थे। पंकज के व्यक्तिगत खाते में तीन प्राथमिक क्षुद्र ग्रहों की खोज आई थी। वैज्ञानिक नाम के अनुसार रिकार्ड में पी118बीटीएस, पी118केएनजी नाम दिया गया था। टीम के नाम रिकार्ड में वीपीएस4305, वीपीएस4306, वीपीएस4308 नाम रखा गया था।

पंकज शर्मा के मुताबिक, उनकी खगोलीय अध्ययन क्षेत्र में दिलचस्पी है। पंकज ने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की है। वह पुष्पा गुजराल साइंस सिटी कपूरथला के साथ भी काम कर चुके हैं। एनसीईआरटी ने पंकज कुमार शर्मा को पत्र भेजकर बताया है कि उन्हें एनसीईआरटी की ओर से वर्ष 2019-20 के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुरस्कार की नकद राशि उनके खाते में भेजी जाएगी।

इससे पहले मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के मोल्लापुरा गांव के एक विज्ञान शिक्षक नरेंद्र कर्मा ने क्षुद्र ग्रह की खोज करने का दावा किया था। कर्मा क्षुद्र ग्रह खोज कार्यक्रम में सिटीजन साइंटिस्ट के रूप में शामिल हुए थे। शासकीय माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक नरेंद्र कर्मा प्रतिष्ठित रोनाल्ड रॉस साइंस क्लब के समन्वयक भी हैं। कर्मा के मुताबिक, उन्होंने अक्तूबर से नवंबर के बीच इस एस्टेरॉइड की खोज की। इसे विज्ञानियों ने पी1-18बीएम नाम दिया है। कर्मा ने बताया कि उनका चयन इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कोलेबोरेशन के अंतर्गत नासा स्पेस एजंसी के क्षुद्र ग्रह खोज कार्यक्रम में हुआ था। उन्होंने 45 दिन का एस्टेरॉइड हंटिंग (खोज) प्रशिक्षण आनलाइन लिया था।

इसके बाद कंप्यूटर पर एस्ट्रोनॉमिका सॉफ्टवेयर चलाना सीखा। नासा के साथ साथ पैन स्टार आॅब्जरवेटरी हवाई और हार्डिन सीमंस यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों ने प्राथमिक चरण पर की इसकी पुष्टि की है। कर्मा ने बताया कि उल्का पिंड गुरुत्वाकर्षण के कारण धरती की कक्षा के नजदीक आ जाते हैं। वे कभी भी पृथ्वी से टकराकर महाविनाश का कारण बन सकते हैं, इसलिए इन पर नजर रखना बहुत जरूरी होता है।