शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कई सिख संगठन और कट्टरपंथी समूह मंगलवार को यहां सरबत खालसा (सिखों की महासभा) के लिए एकत्रित हुए और बेअंत सिंह हत्या मामले के दोषी जगतार सिंह हवारा को अकाल तख्त का जत्थेदार नियुक्त कर दिया। इस जमावड़े ने सिखों की सर्वोच्च धार्मिक इकाई अकाल तख्त के अलावा दो अन्य तख्तों- तख्त केशगढ़ साहिब और तख्त दमदमा साहिब के जत्थेदारों को हटा दिया। एसजीपीसी और सिखों की सर्वोच्च धार्मिक इकाई अकाल तख्त ने अमृतसर के पास छब्बा गांव में इस आयोजन को सरबत खालसा कहने से इनकार किया।

एसजीपीसी सभी जत्थेदारों की नियुक्ति करती है। कट्टरपंथियों और अन्य सिख समूह यह आरोप लगाते रहे हैं कि पंजाब में सत्ताधारी बादल परिवार एसजीपीसी का नियंत्रण करता है। जमावड़े में एसजीपीसी की ओर से नियुक्त वर्तमान जत्थेदारों पर सिख संस्थाओं की गरिमा और परंपराओं का पालन नहीं करने के आरोप लगाए गए। सरबत खालसा का आयोजन सिख संस्थाओं को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त करने के लिए पवित्र शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर चब्बा गांव में किया गया था। इस जमावड़े का आयोजन डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को 2007 में उनकी ओर से की गई कथित ईशनिंदा के लिए माफी देने में शामिल अकाल तख्त के प्रमुख गुरुबचन सिंह और अन्य सिख जत्थेदारों को हटाने पर चर्चा करने के लिए किया गया था। यह जमावड़ा सात घंटे चला जिस दौरान करीब 10 प्रस्ताव पारित किए गए।

दमदमी टकसाल के अमरीक सिंह अजनाला और यूनाइटेड अकाली दल (यूएडी) के बलजीत सिंह डडुवाल को क्रम से तख्त केशगढ़ साहिब और तख्त दमदमा साहिब का जत्थेदार नियुक्त किया गया। जमावड़े में आपरेशन ब्लू स्टार के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केएस बराड़ और पंजाब पुलिस के पूर्व महानिदेशक केपीएस गिल को तनखैया घोषित कर दिया गया और उन्हें अकाल तख्त के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया गया। बराड़ और गिल को 30 नवंबर को अकाल तख्त के समक्ष पेश होने को कहा गया है ताकि उनके खिलाफ अगली कार्रवाई की जा सके।

जमावड़े ने इसके अलावा पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को दिए गए खिताबों ‘फक्रे कौम’ और ‘पंथ रतन’ भी वापस ले लिए। शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक बादल को श्री अकाल तख्त ने उनके लंबे राजनीतिक करिअर के दौरान की गई सेवाओं को देखते हुए स्वर्ण मंदिर में 2011 में खिताब प्रदान किया था। हवारा के अकाल तख्त प्रमुख के तौर पर नियुक्ति से पंजाब में विभिन्न सिख समूहों के बीच टकराव होने की आशंका है। हवारा बब्बर खालसा संगठन का आतंकवादी रह चुका है। वह वर्तमान में दिल्ली की तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसे पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 31 अगस्त, 1996 में एक मानव बम से हमला करके हत्या करने के लिए दोषी ठहराया गया है।