धर्मग्रंथ के अनादर की घटना को लेकर बढ़ते तनाव के बीच पंजाब सरकार ने बारगड़ी गांव की इस घटना और बाद में प्रदर्शनों के दौरान कथित पुलिस गोलीबारी में दो व्यक्तियों की मौत के मामले की जांच रविवार को सीबीआइ को सौंपी। एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने बारागरी गांव की इस घटना और बाद में फरीदकोट जिले के बहबल कलां में प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर कथित पुलिस गोलीबारी में दो व्यक्तियों की मौत के मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी।

सरकार ने इस मामले की जांच के लिए पहले एडीजीपी आइपीएस एस सहोता के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआइटी) बनाया था। एसआइटी इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि ‘आरोपी लालच और धनी बनने की आकांक्षा में राष्ट्रविरोधी ताकतों के आसान शिकार बन गए।’

विशेष जांच दल ने फरीदकोट के पंजग्राम के दो भाइयों- रुपिंदर सिंह और जसविंदर सिंह को बारगड़ी गांव की घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। यह घटना धर्मग्रंथ के अनादर की आठ से अधिक घटनाओं में पहली घटना थी। पुलिस ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में ऐसी घटनाओं के सिलसिले में कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया। उनमें से ज्यादातर या तो ग्रंथी थे या सिख धर्मस्थल के कर्मचारी।

कट्टरपंथियों समेत विभिन्न सिख संगठनों के प्रति निष्ठा रखने वाले सिख असली गुनाहगारों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं और उनका आरोप है कि बारगड़ी गांव मामले में जो भाई गिरफ्तार किए गए हैं, उन्हें पुलिस ने गलत तरीके से फंसाया है। स्थिति को संभालने के तौर तरीके को लेकर आलोचनाओं से घिरने के बाद पंजाब सरकार ने अचानक पुलिस प्रमुख सुमेध सिंह सैनी को भी उनके पद से हटा दिया था।

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