वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अशोक खेमका को राहत देते हुए हरियाणा की भाजपा सरकार ने उनके खिलाफ आरोपपत्र हटा दिया जिसमें पिछली कांग्रेस सरकार ने उन पर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का आरोप लगाया था। खेमका ने सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के स्वामित्व वाली एक कंपनी और रियल्टी कंपनी डीएलएफ के बीच एक भूमि सौदे का दाखिल खारिज रद्द कर दिया था। आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को यहां कहा कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर के निर्देश पर 1991 बैच के आइएएस अधिकारी के खिलाफ आरोपपत्र हटाया गया।
सूत्रों ने कहा कि मुख्य सचिव के कार्यालय ने कल आरोपपत्र हटाने का आदेश जारी किया और खेमका के पास भी संबंधित पत्र भेजा गया है। पिछली हुड्डा सरकार ने खेमका के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। हुड्डा सरकार ने खेमका पर तीन साल पहले वाड्रा की स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और डीएलएफ के बीच भूमि सौदे का दाखिल खारिज रद्द कर अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाने का आरोप लगाया था। इसमें कुछ दूसरे आरोप भी थे।
खेमका को दिसंबर 2013 में सात पन्नों का आरोपपत्र जारी किया गया था और अधिकारी ने इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार को अपन जवाब सौंपा था। हाल में मुख्यमंत्री खट्टर ने खेमका से मुलाकात की थी। हालांकि इस समय हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग में सचिव और महानिदेशक के पद पर तैनात खेमका ने ट्विटर पर लिखा, ‘चार दिसंबर, 2013 को जारी आरोपपत्र को लेकर फैसले पर सरकार से कोई सूचना नहीं मिली है। मीडिया में आई खबरें मेरे कानों को सकून पहुंचा रही हैं।’
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