कभी चंडीगढ़ की सड़कों पर कूड़ा बीनने वाले राजेश कालिया को केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ का मेयर चुना गया है। पूर्व में उन्हें वाल्मीकि मतदाताओं की मदद से पार्षद भी चुना गया था। भाजपा ने उनके पुलिस रिकॉर्ड के बावजूद अपने आधिकारिक उम्मीदवार के रूप में चुना। दरअसल शहर में लगभग 1.27 लाख वाल्मीकि वोट हैं, जो आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए महत्वपूर्ण होंगे। 12th तक पढ़े 46 साल के कालिया ने साल 1984 में राजनीति में कदम रखने से पहले अपने पिता के साथ दादूमाजरा के डंपिंग ग्राउंड में काम किया।
मेयर चुनाव के बाद तुंरत जीत हासिल करने वाले कालिया ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में मेरे आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में सवाल किए जा रहे हैं। मैं उन्हें बता दूं कि विवाद के छोटे से केस हैं। इनमें से एक जुए का है। इसके लिए मेरे ऊपर पचास रुपए का जुर्माना भी लगा।’ बता दें कि कालिया ने साल 1984 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संग में शामिल हो गए और साल 1996 के चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
साल 2011 में उन्होंने पहली बार नगर निगम का चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि साल 2016 में वह वार्ड नंबर सात से पार्षद चुने गए। यह कालिया ही थे जिन्होंने कूड़ा बीनने वालों के आंदोलन का नेतृत्व किया जब एमसी ने शहर में स्वतंत्र संग्राहकों से कूड़ा उठवाने का फैसला किया।
सिटी बीजेपी चीफ संजय टंडन और पूर्व मेयर अरुण सूद के करीबी सहयोगी ने बताया कि कालिया की जीत को टंडन के लिए प्रोत्साहन के रूप में देखा जाता है। नाम ना छापने की शर्त पर भाजपा के एक नेता ने बताया, ‘यह सब लोकसभा चुनाव की वजह से हुआ है चूंकि भाजपा वाल्मीकि वोट बैंक को लुभाना चाहती थी।’
हालांकि, सांसद किरण खेर ने कहा कि ऐसा बिल्कुल नहीं है और सब एक हैं। उन्होंने कहा कि यह शिक्षित शहर है। बता दें कि किरण खेर और संजय टंडन दोनों अगले लोकसभा चुनाव में चंडीगढ़ से टिकट पाने की रेस में हैं और दोनों कालिका के उम्मीदवारी के समर्थन में थे।