अपनी सजा पूरी करने के बावजूद अब भी जेलों में कैद सिंह बंदियों की रिहाई का मसला संगरूर लोकसभा उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल- शिअद (बादल) के लिए सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा है। शिअद नेता सिंह बंदियों की रिहाई पर ही ध्यान केंद्रित किए हुए हैं। फिर चाहे वहां से शिअद प्रत्याशी कमलदीप कौर रजोआणा हों या फिर शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल। कमलदीप कौर रजोआणा दरअसल, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड में जेल की सजा काट रहे बलवंत सिंह रजोआणा की ही बहन है जो वर्तमान में पटियाला जेल में बंद है।

संसदीय हलका संगरूर में नौ विधानसभा हलके होने के बावजूद कमलदीप कौर क्यों केवल सिंह बंदियों की रिहाई को ही चुनावी मसला बनाए हुए हैं, के जवाब में उनका कहना है, ‘इस उपचुनाव में हमारी लड़ाई नाइंसाफी के खिलाफ है। बेशक हलके में असंख्य मुद्दे होंगे, लेकिन हम सभी धर्मों के लोगों के साथ केवल यही मसला उठा रहे हैं क्योंकि यह लड़ाई उन सभी कैदियों के हक के लिए लड़ी जा रही है जो सजा पूरी हो जाने के बावजूद जेलों में बंद हैं। मेरा भाई बलवंत सिंह रजोआणा भी उनमें से एक है।’

कमलदीप कौर का कहना है, ‘इस बार अकाल तखत ने स्पष्ट संदेश दिया है कि पंथक संगठनों को ऐसे ही किसी सिंह बंदी परिवार के सदस्य को उस उपचुनाव में टिकट दिया जाना चाहिए, इसलिए हम अकाल तखत के ही आदेश का अनुपालन करके ऐसा कर रहे हैं।’शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल हालांकि, अपनी चुनावी जनसभाओं में कहते आए कि, ‘शिअद हमेशा से ही सिंह बंदियों के साथ खड़ा है। प्रकाश सिंह बादल ने बतौर मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया था और बलवंत सिंह रजोआणा की फांसी का पुरजोर विरोध किय।

इसी तरह, शिअद ने देविंदरपाल सिंह भुल्लर की सजा कम कराने में अहम भूमिका निभाते हुए उसकी फरलो पर रिहाई भी सुनिश्चित कराई।’ शिअद प्रमुख का कहना है, ‘शिअद-बसपा और तमाम पंथक संगठनों की ओर से यह फैसला लिया गया कि उप-चुनावी पोस्टरों में सिंह बंदियों की रिहाई का ही मसला नजर आना चाहिए। यही वजह है कि केवल बीबा कमलदीप कौर रजोआणा की ही तस्वीर है।’

सुखबीर सिंह ने आगे कहा, ‘मेरी सभी संगरूरवासियों से यही गुहार है कि वे एकजुट हो जाएं और कमलदीप कौर को लोकसभा पहुंचाएं ताकि वे सिंह बंदियों की जेलों से रिहाई का मसला वहां उठाएं और फिर उन्हें परिजनों के बीच लाया जा सके। रजोआणा को दिया गया एक-एक वोट ऐसे तमाम सिंह बंदियों की रिहाई सुनिश्चित कराएगा।’

संगरूर के एक वोटर ने जनसत्ता को बताया, ‘यह उपचुनाव अन्य राजनीतिक दलों के बीच टक्कर की बनिस्बत शिअद- बादल बनाम शिअद- अमृतसर ही ज्यादा हो गया लगता है।’ शायद शिअद प्रमुख ने लोगों का मूड भांप लिया है और सोमवार उन्होंने कहा, ‘भगवंत मान ने पंजाब की बागडोर संभालने के बाद अब संगरूर के लोगों को बेसहारा छोड़ दिया है।

यही वजह है कि इस संसदीय हलके के तहत आते क्षेत्रों में आगामी उपचुनाव के लिए ‘आप’ के चुनावी कार्यालय खोले जाने का विरोध हो रहा है। उन्होंने अपनी सरकार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के हाथ सौंप दिया है। संगरूर संसदीय हलके ने ही उन्हें दो बार लोकसभा में पहुंचाया था, लेकिन वहां कोई विकास कार्य नहीं हो पाया। उन्होंने और उनकी आप ने पंजाबियों को उसी तरह मूर्ख बनाकर रखा है जिस तरह पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाते आए थे।’

शिअद अध्यक्ष ने यहां तक कहा, ‘पंजाबियों को यह नहीं सोचना चाहिए कि महिलाओं को वादे के अनुरूप 1,000 प्रतिमाह मिल जाएंगे। यहां तक कि 300 यूनिट मुफ्त बिजली भी उन्हें नहीं मिलने वाली। और तो और, बादल साहिब की ओर से शुरू की गई आटा-दाल योजना, शगुन योजना और बुढ़ापा पेंशन में भी आप सरकार ने बाधा खड़ी कर दी है।’