शिरोमणि अकाली दल (SAD) की कार्यसमिति आखिरकार शुक्रवार को अकाल तख्त के सामने झुक गई। इसके बाद पार्टी प्रमुख के रूप में सुखबीर सिंह बादल का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया। पार्टी महासचिव दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि कार्य समिति ने 20 जनवरी को एक नया सदस्यता अभियान शुरू करने और 1 मार्च को नए अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि नया अध्यक्ष चुने जाने तक बलविंदर सिंह भूंदड़ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष बने रहेंगे।

16 साल तक अकाली दल के अध्यक्ष रहे सुखबीर बादल

जनवरी 2008 में पहली बार पार्टी के अध्यक्ष चुने गए सुखबीर बादल ने 16 साल तक इस पद पर काम किया और हर पांच साल में सर्वसम्मति से दोबारा चुने गए। उनसे पहले, उनके पिता, प्रकाश सिंह बादल 1996 से 2008 तक अध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे। यह 29 वर्षों में पहली बार है कि बादल परिवार अब भारत की सबसे पुरानी क्षेत्रीय पार्टी के शीर्ष पर नहीं है। नवंबर 1996 से सितंबर 2020 तक बीजेपी के साथ गठबंधन में रही पार्टी अब नेतृत्व के नए चरण में प्रवेश कर रही है।

कार्यसमिति की बैठक में सुखबीर बादल भी शामिल हुए और फिर इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया। उनका इस्तीफा 14 जनवरी को मुक्तसर में होने वाले माघी सम्मेलन से कुछ दिन पहले स्वीकार किया गया है। सुखबीर इस आयोजन की तैयारियों में सक्रिय रूप से शामिल थे और पिछले हफ्तों में मुक्तसर क्षेत्र में बैठकें कर रहे थे।

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अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने 6 जनवरी को पार्टी प्रमुख के रूप में सुखबीर बादल के इस्तीफे को स्वीकार करने और पार्टी के पुनर्गठन से संबंधित आदेश को लागू करने में देरी पर अकाली दल से सवाल किया था। 2007 से 2017 तक पंजाब में अकाली दल और उसकी सरकार द्वारा की गई गलतियों के लिए सुखबीर बादल और अन्य नेताओं को पिछले साल 2 दिसंबर को धार्मिक दंड की घोषणा की थी। इसके अलावा अकाल तख्त ने अकाली दल की कार्य समिति को पार्टी प्रमुख के रूप में सुखबीर बादल का इस्तीफा स्वीकार करने का भी निर्देश दिया था। हालांकि सुखबीर बादल को धार्मिक दंड भुगतना पड़ा, लेकिन कार्य समिति ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया, जो उन्होंने पिछले साल 16 नवंबर में दिया था। समिति ने बैठक बुलाने के लिए 20 दिन का समय मांगा था।

सुखबीर बादल ने पार्टी नेताओं को दिया धन्यवाद

अपना इस्तीफा स्वीकार होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए सुखबीर बादल ने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। सुखबीर बादल ने कहा, “पांच साल पहले अकाली प्रतिनिधि सेशन ने मुझे अकाली दल की सेवा करने की बड़ी जिम्मेदारी दी थी। पिछले पांच वर्षों में मैं पार्टी के लिए जो कुछ भी कर सकता था, मैंने किया। जब मुझे अकाल तख्त साहिब जाना था तो मैंने एक विनम्र सिख के रूप में जाने का मन बना लिया था। लेकिन कुछ कारणों से इसे (मेरा इस्तीफा) स्वीकार नहीं किया गया। कार्य समिति को एक नया सदस्यता अभियान शुरू करना चाहिए और उसके बाद एक नया अध्यक्ष चुना जा सकता है।”

कैसा रहा सुखबीर बादल का राजनीतिक सफर

सुखबीर बादल का राजनीतिक सफर 1998 में शुरू हुआ जब वह फरीदकोट से सांसद चुने गए। हालांकि वह 1999 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के जगमीत सिंह बराड़ से हार गए, लेकिन वह 2001 में राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में लौटे और 2004 में फरीदकोट लोकसभा सीट दोबारा हासिल की। वह जनवरी 2008 में अकाली दल के अध्यक्ष बने और बाद में पंजाब के उप मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। अगस्त 2009 में जलालाबाद विधानसभा उपचुनाव भी उन्होंने जीता था।