पंजाब कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने एक विवादित बयान दे दिया। संगरूर लोकसभा क्षेत्र के खेतला गांव में 18 मई को एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस के उम्मीदवार सुखपाल सिंह खैरा ने पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर पंजाब में भी एक कानून लाने की मांग की थी। इसके तहत अगर कोई प्रवासी राज्य द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों को पूरा नहीं करता है तो उसे जमीन खरीदने, मतदाता बनने या सरकारी नौकरी पाने से रोका जाएगा।

सुखपाल सिंह खैरा ने विदेशों में पंजाबियों के बढ़ते पलायन पर चिंता व्यक्त की थी और दावा किया था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो पंजाब के मूल निवासी राज्य में अल्पसंख्यक बन जाएंगे। तीन बार के विधायक रह चुके सुखपाल सिंह खैरा की टिप्पणी पर सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा ने उनकी तीखी आलोचना की है। कांग्रेस ने इस विवाद से बचने की कोशिश की है और इसे सुखपाल खैरा का निजी विचार बताया है।

पीएम मोदी ने भी साधा था निशाना

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के महाराजगंज में एक रैली को संबोधित करते हुए सुखपाल खैरा का नाम लिए बिना कहा, “इंडिया गठबंधन के लोग बिहार के लोगों का अपमान कर रहे हैं। राजपरिवार (गांधी परिवार) के करीबी एक कांग्रेस नेता का कहना है कि बिहार के लोगों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। उन्हें पंजाब में अधिकार नहीं दिए जाने चाहिए या उन्हें वहां घर खरीदने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, लेकिन राजपरिवार इस पर चुप रहता है। उनके दिमाग में इतनी नफरत भरी हुई है।”

वहीं सुखपाल सिंह खैरा ने पीएम मोदी पर उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने का आरोप लगाया। सुखपाल खैरा ने इस बात से इनकार किया कि उन्होंने बिहारियों का जिक्र किया है या प्रवासियों के बहिष्कार का आह्वान किया है। सुखपाल खैरा ने एक बयान में कहा, “मैं हिमाचल प्रदेश जैसे कानून की वकालत कर रहा हूं जो बाहरी लोगों को राज्य की शर्तों को पूरा किए बिना जमीन खरीदने, मतदाता बनने या सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने से रोकता है। अगर कोई गैर-पंजाबी पंजाब में आजीविका कमाना चाहता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन अगर वह स्थायी रूप से बसना चाहता है तो उसे एचपी टेनेंसी एक्ट 1972 जैसी शर्तों को पूरा करना होगा। ऐसा कानून पंजाब में और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमारी अधिकांश सरकारी नौकरियां हरियाणा, दिल्ली आदि से आए लोगों द्वारा ली जा रही है। पंजाब में यह बेहद जरूरी है क्योंकि दुनिया भर में पंजाबियों के बड़े पैमाने पर पलायन के कारण हमारी डेमोग्राफिक स्थिति खतरे में है। मैं प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता हूं कि एचपी जैसा एक समान कानून उनके गृह राज्य गुजरात और भाजपा शासित उत्तराखंड में भी मौजूद है।”

वहीं इस बीच पंजाब भाजपा के पूर्वांचल विंग के प्रमुख राजेश मिश्रा ने खैरा पर निशाना साधते हुए कहा, “खैरा की टिप्पणी सीधे तौर पर यूपी और बिहार के प्रवासियों को निशाना बना रही है, जो कड़ी मेहनत करते हैं और पंजाब की अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान देते हैं। हम उनके विभाजनकारी बयान के बारे में चुनाव आयोग से शिकायत करेंगे। इसके अलावा भाजपा इस मुद्दे पर पूरे पंजाब में कांग्रेस के खिलाफ पुतला फूंकने की योजना बना रही है।”

इस मुद्दे पर पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा, “बाहरी लोगों के लिए प्रतिबंध लगाना सही नहीं है। इस तरह के कानून की मांग करना सही नहीं है, क्योंकि पंजाबी ‘सरबत दा भला’ (सभी के लिए समृद्धि) में विश्वास करते हैं और पंजाबी आपदाओं के दौरान विभिन्न स्थानों पर लंगर आयोजित करने के लिए प्रसिद्ध हैं। हर साल धान की रोपाई के मौसम में प्रवासी पंजाब आते हैं और यहां तक कि हमारे पंजाबी लड़के और लड़कियां भी आजीविका के लिए देश से बाहर जाते हैं। इसलिए ऐसी मांग उचित नहीं है क्योंकि हम सभी का खुले दिल से स्वागत करते हैं।”

इस बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और विपक्ष के नेता (LoP) प्रताप सिंह बाजवा ने पार्टी को विवाद से दूर रखने की कोशिश की। कांग्रेस खैरा के गए दृष्टिकोण से अलग राय रखती है। चरणजीत सिंह चन्नी ने यह कहकर भी विवाद खड़ा कर दिया था कि उत्तर प्रदेश, बिहार और दिल्ली के भैया को राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि चन्नी ने बाद में कहा था कि उनकी टिप्पणी आप नेताओं के लिए थी, न कि उन प्रवासियों के लिए जो पंजाब में काम करने और अपनी आजीविका कमाने के लिए आते हैं। इसके बाद पीएम मोदी ने पंजाब के अबोहर में एक चुनावी रैली के दौरान चन्नी पर हमला किया था।

पंजाब विभिन्न क्षेत्रों में प्रवासी श्रमिकों पर काफी हद तक निर्भर है। कृषि और उद्योग से लेकर आवास और घरेलू सहायता तक – जिनमें से अधिकांश यूपी और बिहार से हैं। हालांकि कई प्रवासी पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान सहित अन्य राज्यों से भी आते हैं।

हरित क्रांति के बाद 1970 के दशक के मध्य में पंजाब में प्रवासियों का आना शुरू हुआ। तत्कालीन पंजाब सरकार के प्रवासी बोर्ड द्वारा 2016 में किए गए एक सर्वेक्षण में अनुमान लगाया गया था कि राज्य में प्रवासी आबादी लगभग 39 लाख है। वे मुख्य रूप से लुधियाना, जालंधर, मोहाली, फगवाड़ा, बठिंडा, होशियारपुर, अमृतसर और फतेहगढ़ साहिब में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार राज्य की जनसंख्या 2.77 करोड़ थी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि लगभग 30% प्रवासी पंजाब में मतदाता हैं।

संगरूर में मुकाबला

सीएम भगवंत मान के गृह क्षेत्र संगरूर में मुकाबले में खैरा का मुकाबला मौजूदा सांसद और शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान, आप उम्मीदवार और मंत्री गुरमीत सिंह मीत हेयर, भाजपा के अरविंद खन्ना और अकाली के इकबाल सिंह से है। 2022 के उपचुनाव में सिमरनजीत ने आप के गुरमेल सिंह को 6,245 वोटों से मामूली अंतर से हराया था। हालांकि इस बार ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि संगरूर में मुकाबला मुख्य रूप से खैरा और गुरमीत सिंह हेयर के बीच होगा।