देश की राजधानी दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा राज्य में लगातार पराली जलाने को लेकर राज्य सरकार को खरी-खोटी सुनाई। इसके बाद राज्य सरकार ने पराली जलाने पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए किसानों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी। इस कार्रवाई से नाराज किसानों ने बठिंडा के डीसी कार्यालय परिसर के बाहर पराली जलाने लगे, लेकिन उनके खिलाफ किसी भी अधिकारी ने केस दर्ज करने की हिम्मत नहीं दिखाई। भारती किसान यूनियन (सिधुपुर) के बैनर तले बठिंडा के विभिन्न गांवों के 100 से अधिक किसानों ने सोमवार (4 नवंबर) को जिला अधिकारी कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला और ट्रैक्टर में लाद कर लाए पराली के बंडल को जला दिया।

दरअसल किसानों की यह प्रतिक्रिया पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के बयान के बाद सामने आई है। रविवार (3 नवंबर) को कैप्टन ने कहा था कि 3000 से अधिक किसानों के खिलाफ पराली जलाने के मामले में कार्रवाई की गई है, हालांकि पूरे पंजाब से पराली जलाने के करीब 22 हजार मामले सामने आए हैं।

‘उचित समाधान दें सरकार’: बता दें कि लगभग तीन एकड़ जमीन पर धान बोने वाले यतीरी गांव के किसान रेशम सिंह ने कहा कि, “मैंने गांव में अपने खेतों में पराली जलाई उसके बाद मैं डीसी ऑफिस आया हूं। मैं लगभग छह एकड़ जमीन पर खेती करता हूं। वर्षों से मैं तीन एकड़ में ग्वार और कपास बोता आ रहा हूं। पराली के लिए सरकार को किसानों को धमकाने के बजाय उचित समाधान देना चाहिए।’

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‘हम ठूंठ के साथ क्या करें?’:  सैंदोआ गांव में सात एकड़ खेत के मालिक बठिंडा के किसान संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह संदोआ ने कहा कि, “प्रदूषण कौन पैदा करना चाहता है? लेकिन हम ठूंठ के साथ क्या करें? अधिकारियों को हमें इसके बारे में बताना चाहिए। पिछले साल राज्य के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने कहा था कि बठिंडा के थर्मल प्लांट की एक इकाई धान की कटाई पर चलेगी। उन्होंने अब तक इस पर क्या किया है? यदि वे हमारे पराली से थर्मल प्लांट और उर्वरक बनाने वाली यूनिट चलाते हैं, तो इसका उपभोग किया जा सकता है। इससे कोयले के उपयोग में भी कमी आएगी।”

बठिंडा में 100 से अधिक एफआईआर दर्ज: गांव के एक अन्य किसान योद्धा सिंह ने कहा कि, “अब हमने डीसी ऑफिस के सामने पराली जला दिया है हमें गिरफ्तार करने के लिए सरकार स्वतंत्र हैं। उन्होंने बताया कि अकेले बठिंडा में किसानों के खिलाफ 100 से अधिक एफआईआर दर्ज की गई हैं। हमने विवरण मांगा, जो उन्होंने नहीं दिया।”

किसानों ने अधिकारियों को दी धमकी: भारती किसान यूनियन (दकौंडा) के अध्यक्ष बूटा सिंह बुर्जगिल और भारती किसान यूनियन के अध्यक्ष झंडा सिंह जेठुके ने किसानों के खेतों पर जाकर चालान या लॉज जारी करने के खिलाफ अधिकारियों को धमकी दी है। किसान कार्यकर्ता मंजीत सिंह धनगर को दी गई उम्रकैद की सजा को माफ करने के लिए बरनाला जेल के बाहर पक्का मोर्चा में बोलते उन्होंने कहा कि “सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि हम मंजीत धनगर के मोर्चा में व्यस्त हैं, इसलिए वे हमारे किसानों को परेशान कर सकते हैं।” हमने अपने सभी सदस्यों को कहा है कि यदि कोई अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने आए तो उन्हें खेतों के ट्यूबवेल के कमरे में बंद कर दो।”

‘सरकार हमारी मदद नहीं कर रही’: मनसा के भनीबाग गांव के भारती किसान यूनियन (उग्राहन) के अध्यक्ष राम सिंह भानीबाग ने कहा, “हमारा गांव पराली जला रहा है। हम जानते हैं कि यह प्रदूषण का कारण बनता है और हम इस प्रदूषण के पहले शिकार होते हैं। हम ठूंठ जलाने के शौकीन नहीं हैं, यह हमारी मजबूरी है। हमने अपने ठूंठ को प्रबंधित करने के लिए सरकार से प्रति एकड़ 200 रुपये का बोनस मांगा है, लेकिन वे इस पर अड़े हैं। यदि सरकार हमें गेहूं की फसल की अग्रिम धन दे सकती है तो हम गेहूं की खेती नहीं करेंगे, और धान के डंठल को खेत में सड़ने देंगे।” उन्होंने आगे कहा कि, “हमें धान की पराली जलाने से बचने के लिए हेलिकॉप्टर, हैप्पी सीडर और जीरो ड्रिल दी जाती हैं, लेकिन वे केवल कुछ शोरूम में उपलब्ध हैं। वे कृषि सोसायटी के कार्यालयों में उपलब्ध होना चाहिए। इसके अलावा, वे बहुत ज्यादा महंगी हैं।

किसानों ने यह भी कहा कि पंजाब सरकार द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन के लिए सब्सिडी पर दी जा रही मशीनें भारी ट्रैक्टर इंजनों पर काम करती हैं, और इसके लिए ज्यादा ईंधन की जरूरत होती हैं। इसलिए उन्हें ईंधन खर्च को पूरा करने के लिए बोनस की आवश्यकता है।