पंजाब सरकार खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे प्रमुख अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार में अब तक नाकाम रही है। ऐसे में पंजाब के कई संगठनों ने चिंता ज़ाहिर की है कि सरकार राज्य के अन्य मुद्दों को लेकर आंखें मूंद कर बैठी है। अधिकारी उनकी मांगों को अनसुना कर रहे हैं। शिक्षक संघों और किसान यूनियनों के नेताओं का कहना है कि पिछले आधे महीने सरकार का पूरा ध्यान सिर्फ अमृतपाल सिंह पर है और दूसरे मुद्दों को साइड में रख दिया गया है।

उद्योगपतियों ने कहा “ग्राहक अब राज्य का दौरा करने से हिचक रहे हैं”

उद्योगपतियों ने पंजाब और केंद्र दोनों सरकारों से कहा है कि उन्हें भारी नुकसान हो रहा है और अमृतपाल प्रकरण को जल्द से जल्द सुलझाया जाए। चैंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल अंडरटेकिंग्स (सीआईसीयू) के अध्यक्ष उपकार सिंह ने कहा,

‘पंजाब के बाहर हमारे ग्राहक अब राज्य का दौरा करने से हिचक रहे हैं। राज्य में कानून और व्यवस्था की वर्तमान स्थिति एक बड़ी चिंता है और इससे पूरा प्रदेश प्रभावित हो रहा है। हम नुकसान से डरते हैं और इसलिए दोनों सरकारों से इस मुद्दे को जल्द हल करने का अनुरोध कर रहे हैं। मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि 1980 के दशक के अंत में पंजाब को किस तरह से नुकसान उठाना पड़ा था और हम एक और काला युग बर्दाश्त नहीं कर सकते। साथ ही इन्वेस्ट पंजाब के ठीक बाद ऐसी स्थिति से राज्य की बदनामी हो रही है।’

एपेक्स चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष रजनीश आहूजा ने कहा कि जिस दिन ऑपरेशन अमृतपाल शुरू हुआ, उस दिन उनका बेटा दिल्ली में था और कन्फ़्यूज्ड था कि लुधियाना वापस जाना सुरक्षित होगा या नहीं। उन्होने आगे कहा “मेरे ग्राहक भी अब ऑर्डर देने से हिचक रहे हैं। हम नहीं चाहते कि कोई राजनीतिक दल मतदाताओं का ध्रुवीकरण करके इस मुद्दे पर राजनीति करे। टाटा स्टील को छोड़कर कोई भी बड़ी इकाई पंजाब आने को इच्छुक नहीं है और यहां तक कि टाटा स्टील भी सभी छोटे और मध्यम उद्यमों को खा जाएगी।

नीलबार गारमेंट्स के मालिक सोनू निलिबर ने भी इसी तरह की राय व्यक्त करते हुए कहा कि उनके अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों ने अपने पंजाब प्रवास को कम कर दिया है। उन्होने कहा कि इससे हमारे कारोबार पर बड़ा असर पड़ रहा है।

कर्मचारी भी परेशान

वेतनमान लागू करने के बारे में बात करते हुए सांझा मोर्चा के अध्यक्ष शालिंदर कंबोज ने कहा, ‘पंजाब सरकार के पास अब वेतनमान लागू करने की हमारी मांगों को टालने का कारण है, जिसका वादा उन्होंने पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान किया था. अभी तक केंद्रीय और राज्य वेतनमान का मिश्रण लागू किया गया है जो पिछली कांग्रेस सरकार ने जुलाई 2020 में किया था। पंजाब वेतनमान के तहत जुलाई 2020 से पहले भर्ती किए गए शिक्षकों को हमसे 10,000-15,000 रुपये अधिक वेतन मिल रहा है। ऑपरेशन अमृतपाल कर्मचारियों के मुद्दों पर भारी पड़ गया है।

किसान भी आए सामने

बीकेयू दकौंदा के महासचिव जगमोहन सिंह पटियाला ने कहा, ‘सरकार अमृतपाल ऑपरेशन को बहुत तूल दे रही है। उन्हें अर्धसैनिक बलों को हटा देना चाहिए और राज्य में युवाओं से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम वापस लेना चाहिए। किसानों की फसल पूरी तरह खराब हो चुकी है और वे अपना मुद्दा भी नहीं उठा पा रहे हैं। 15000 रुपये प्रति एकड़ उन किसानों के लिए बहुत कम राहत है जिनकी फसल बारिश या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हो गई है।”