पिछले 9 महीने से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन चल रहा है। किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इस आंदोलन का सबसे ज्यादा प्रभाव पंजाब और हरियाणा में देखने को मिल रहा है। माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले पंजाब विधानसभा चुनाव में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। किसान आंदोलन और किसानों के मुद्दे के जरिए पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने केंद्र की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। सिद्धू ने ट्वीट कर कहा कि एनडीए का मतलब नो डाटा अवेलेबल है।

गुरुवार को पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने ट्विटर अकाउंट से तीनों कृषि कानूनों को लेकर एक वीडियो पोस्ट किया। वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने ट्वीट किया कि एनडीए का मतलब है कि किसानों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों के बारे में कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। सरकार केवल अपने उन अमीर कॉरपोरेट दोस्तों के बारे में जानती है जिनका कर्ज माफ किया जाता है और जिनके विमानों में वे यात्रा करते हैं एवं उनके लिए नीतियां बनाते हैं। जैसे ये तीन कृषि कानून बनाए गए हैं जिससे देश के 0.1% व्यक्ति को लाभ होगा जो 70% भारतीयों को लूटेंगे।

इसके अलावा उन्होंने एक और ट्वीट करते हुए लिखा कि किसानों की आय को लेकर भी कोई डाटा उपलब्ध नहीं है, ना ही किसानों की आत्महत्या को लेकर कोई डाटा उपलब्ध है। साथ ही बेरोजगारी और प्रवासी मजदूरों को लेकर भी कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इसलिए अब से एनडीए का मतलब नो डाटा अवेलेबल है।

केंद्र सरकार के अलावा सिद्धू ने कृषि कानूनों के सहारे अकाली दल और आप पर भी निशाना साधा। सिद्धू ने ट्वीट करते हुए कहा कि सुखबीर बादल ने जून 2020 में हुई सर्वदलीय बैठक में कृषि कानूनों का समर्थन किया। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश बादल और हरसिमरत बादल ने जनता के दबाव में यू-टर्न लेने से पहले सितंबर 2020 तक कृषि कानूनों के पक्ष में वीडियो भी बनाए। वहीं आप की दिल्ली सरकार ने भी किसानों को झूठा समर्थन करते हुए निजी मंडियों में कृषि कानूनों को लागू किया।

इसके अलावा अपने अकाउंट से ट्वीट किए गए वीडियो में भी सिद्धू ने केंद्र की मोदी सरकार पर तीन कृषि कानूनों के जरिए अपने उद्योगपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। सिद्धू ने पिछले दिनों हिमाचल में अडानी एग्रो द्वारा सेब का दाम किए जाने का जिक्र करते हुए हमला बोला। नवजोत सिद्धू ने कहा कि ये तीनों कृषि कानून अंबानी और अडानी को मुनाफा देने के लिए लाए गए हैं। आगे उन्होंने हिमाचल का जिक्र करते हुए कहा कि वहां 5000 करोड़ का सेब बाजार है। शुरू में वहां अडानी की कंपनी ने सेब के दाम सरकारी मंडियों से ज्यादा तय किए और किसानों को अपनी और आकर्षित किया। 

लेकिन जैसे ही छोटे व्यापारी वहां कम हो गए तो अडानी की कंपनी से 12 से लेकर 72 रुपए तक सेब के दाम प्रतिकिलो कम कर दिए और उसी सेब को 250 रुपए प्रति किलो तक बेच दिया। अडानी समूह बिना किसी को शामिल किए हुए सेब के दाम निर्धारित करता है। सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए अडानी समूह को सब्सिडी भी दी और बैंकों से भी पैसे दिलवाए। सरकार सभी नीति इनके मुनाफे के हिसाब से ही बना रही है। इसके अलावा सिद्धू ने यह भी कहा कि ये तीनों कृषि कानून सिर्फ अंबानी और अडानी के मुनाफे और उनके एकाधिकार को बनाने के लिए लाए गए हैं।