करीबी दोस्त से लेकर अब एक दूसरे के विरोधी बने पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PPCC) के पूर्व चीफ प्रताप सिंह बाजवा के बीच समीकरण अब तेजी से बदल रहे हैं। बता दें कि बाजवा ने पंजाब में अवैध शराब पीने से हुई 100 मौतों के मामले में बगावत का बिगुल फूंक दिया है। हाल ही में बाजवा ने पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर से मुलाकात कर इस मामले में सीबीआई जांच की भी मांग की थी। हालांकि पीपीसीसी के मौजूदा चीफ सुनील जाखड़ ने बाजवा पर हमला बोलते हुए उन्हें पार्टी से बाहर करने की मांग कर दी है।

ऐसे हुई थी कैप्टन-बाजवा की दोस्ती की शुरुआतः साल 1999 में कैप्टन अमरिंदर सिंह और प्रताप सिंह बाजवा की दोस्ती की शुरुआत हुई थी। दरअसल अमरिंदर सिंह ने उस वक्त पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी का चीफ रहते हुए बाजवा को महासचिव नियुक्त किया था। इसके बाद से साल 2013 तक दोनों की दोस्ती चली। इस दौरान साल 2002 से 2007 तक पंजाब के सीएम रहते हुए अमरिंदर सिंह ने अपनी कैबिनेट में बाजवा को तीसरे नंबर पर रखा और उन्हें पीडब्लूडी जैसा अहम विभाग दिया गया।

दोनों नेताओं के करीबी नेता ने बताया कि अमरिंदर सिंह खाने के शौकीन हैं और साथ ही वह खाना बनाना भी पसंद करते हैं। यही वजह है कि अमरिंदर सिंह ने बाजवा को भी दोस्ती की खातिर आलू दम की सब्जी बनाकर खिलायी थी। साल 2013 में पहली बार बाजवा ने अमरिंदर सिंह के खिलाफ आवाज उठायी थी।

विधानसभा चुनाव में हार से दोस्ती में आयी दरारः दरअसल दोनों की दोस्ती में साल 2012 में पंजाब विधानसभा का चुनाव हारने के बाद से ही दरार आनी शुरू हो गई थी। लेकिन 2013 में हुए मोगा विधानसभा के उपचुनाव में हार के बाद बाजवा ने कैप्टन के खिलाफ खुले तौर पर मोर्चा खोल दिया था और विधानसभा चुनाव में हार का ठीकरा कैप्टन अमरिंदर सिंह के सिर पर फोड़ दिया था।

सीएम के एक करीबी नेता का कहना है कि “इसके बाद से अमरिंदर सिंह ने कभी भी बाजवा को माफ नहीं किया क्योंकि वह उन्हें करीबी मानते थे और अब उन्होंने ही कैप्टन के खिलाफ बगावत कर दी थी। बाजवा उन लोगों में से थे, जो अमरिंदर सिंह के घर कभी भी आ जा सकते थे लेकिन अब वह उन्हें पीठ में छुरा घोंपने वाला समझते हैं।”

साल 2013 में पार्टी ने अमरिंदर सिंह की जगह प्रताप सिंह बाजवा को प्रदेश कांग्रेस चीफ बना दिया। इसके बाद दोनों के रिश्तों में और ज्यादा कड़ावाहट आ गई। दोनों नेताओं के बीच जारी खींचतान के बीच साल 2015 में कांग्रेस ने एक बार फिर अमरिंदर सिंह को पंजाब कांग्रेस का चीफ बना दिया। इसके दो साल बाद पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के साथ ही अमरिंदर सिंह फिर से सीएम बने। बाजवा का दावा है कि उसके बाद से ही उन्हें साइडलाइन करने की कोशिश की जा रही है। हालांकि फिलहाल बाजवा राज्यसभा सांसद हैं लेकिन सूत्रों के अनुसार, बाजवा की पत्नी को भी कोई पद देने का वादा किया गया था लेकिन अभी तक उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

अब बाजवा भी खुलकर अमरिंदर के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि बाजवा आगामी विधानसभा चुनाव को अपना आखिरी मौका मान रहे हैं, यही वजह है कि वह अमरिंदर के खिलाफ काफी मुखर हैं।