14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए। ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने भी अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे को प्राथमिकता से हटाते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर बात शुरू कर दी है। इस बात का अंदाजा विदर्भ प्रांत में हुई संघ की मीटिंग से लगाया जा सकता है, जिसमें संघ के सभी 36 घटक के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

राम मंदिर से बड़ा मुद्दा आतंकवाद: 2019 की शुरुआत से ही संघ ने भाजपा के साथ मिलकर अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे को जमकर उठाया और ‘घर-घर मोदी’ कैंपेन को हवा दी। हालांकि, 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले ने आरएसएस की रणनीति पर भी असर डाल दिया। सूत्रों का कहना है कि आरएसएस अब आतंकवाद को राम मंदिर से बड़ा मुद्दा मानकर काम कर रहा है।

आतंकवाद से निपटने के लिए पीएम मोदी जरूरी: आरएसएस के सूत्रों के मुताबिक, अब संघ का मुद्दा स्थिर सरकार बनाना है। दरअसल, उनका मानना है कि स्थिर सरकार बनाकर ही कश्मीर के बुरे हालातों से निपटा जा सकता है। देश को इसकी जरूरत भी है। ऐसे में अब संघ पीएम मोदी को वापस लाने की बात करेगा। कार्यकर्ताओं ने पिछले पांच साल में मोदी सरकार की उपलब्धियों वाली बुकलेट को भी जनता के बीच बांटने का काम शुरू कर दिया है, जिसमें कांग्रेस के पचास साल के कार्यकाल से तुलना की गई है। साथ ही, कहा गया है कि आतंकवाद से निपटने के लिए पीएम मोदी जरूरी हैं।

कार्यकर्ताओं को दिए गए निर्देश: मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरएसएस ने कार्यकर्ताओं को साफ निर्देश दिए हैं कि सिर्फ उन परिवारों से न मिलें, जो पहले से ही भाजपा में रूझान रखते हैं, बल्कि उनसे भी मिलें, जो गैर-बीजेपी पार्टियों की ओर रूझान रखते हैं या तटस्थ हैं। इसके साथ ही यह भी जरूर समझाएं कि पीएम मोदी को दोबारा चुनने से उन्हें क्या फायदा होगा।