इस्लामी शरीयत मस्जिद को शिफ्ट करने की इजाजत देती है। राम भी हमारे लिए पैगंबर हैं। ऐसे में अमन के लिए दूसरी जगह बड़ी जमीन लेकर समझौता कर लेना चाहिए। यह कहना है दारुल उलूम नदवतुल उलेमा के मौलाना सलमान नदवी का, जो श्री श्री रविशंकर के साथ अयोध्या विवाद में समझौते की कोशिश भी कर चुके हैं। वे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य व अध्यक्ष भी रह चुके हैं, लेकिन अयोध्या पर उनकी पहल से नाराज होकर बोर्ड ने उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी।

इस आधार पर किया दावा : मौलाना सलमान नदवी ने कहा कि खलीफा हजरत उमर (र.अ.) ने कूफा शहर में एक मस्जिद को शिफ्ट करके उसकी जगह पर खजूर का बाजार बनवा दिया था। इस घटना का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि इस्लाम में मस्जिद शिफ्ट करने की इजाजत है। उनका मानना है कि मुसलमानों को अमन और चैन के लिए दूसरी जगह एक बड़ी जमीन लेकर समझौता कर लेना चाहिए।

मुकदमा लड़ने पर दी यह राय : मौलाना नदवी ने कहा कि मुकदमा लड़ने से एक पक्ष की हार होती है और दूसरा पक्ष जीतता है। ऐसी स्थिति में हारने वाला बेइज्जती महसूस करता है। ऐसे में समझौता करना ज्यादा बेहतर है, जिससे इंसानियत को बढ़ावा मिलता है।

राम को बताया पैगंबर : नदवी ने कहा, ‘‘भगवान रामचंद्र बहुत बड़े रिफॉर्मर थे। वहीं, मुस्लिम मत के मुताबिक, दुनिया में अब तक 1.24 लाख पैगंबर हुए हैं। ऐसे में राम भी अपने वक्त के पैगंबर थे। उनका ऐहतराम करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर बनाने देना चाहिए। वहीं, मस्जिद के लिए दूसरी जगह ले लेनी चाहिए। उस जगह पर एक मस्जिद और एक विश्वविद्यालय बना देना चाहिए।’’

अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने दिया है यह फैसला : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को (8 मार्च) अयोध्या विवाद बातचीत के जरिए सुलझाने का आदेश दिया। इस मामले में मध्यस्थता के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्‍यों की समिति बनाने का भी आदेश दिया है। इस समिति में वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू के साथ समिति के अध्यक्ष जस्टिस कलीफुल्ला और श्री श्री रविशंकर को शामिल किया गया है। इस समित को अपनी रिपोर्ट 4 सप्ताह में सुप्रीम कोर्ट को सौंपनी होगी।