राजस्थान सरकार ने सीकर में सरकारी अस्पताल से मिली कफ सिरप पीने से कथित तौर पर 2 बच्चों की मौत के बाद जांच के आदेश दिए हैं। वहीं, मध्य प्रदेश ड्रग एंड फार्मास्युटिकल डिपार्टमेंट ने जबलपुर में कटारिया फार्मास्यूटिकल्स डिस्ट्रीब्यूटर पर छापा मारा। यह छापेमारी कथित तौर पर कफ सिरप के कारण 15 दिनों में 6 बच्चों की मौत की खबर सामने आने के बाद की गयी है। अधिकारियों के अनुसार, राज्य स्वास्थ्य विभाग ने डेक्सट्रोमेथोर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप आईपी 13.5 मिलीग्राम/5 मिलीलीटर (Dextromethorphan Hydrobromide Syrup IP) दवा के सेवन से बच्चों की मौत की सूचना के बाद तीन सदस्यीय समिति का गठन किया है।

कटारिया फार्मास्युटिकल्स के वितरक राजपाल कटारिया ने पीटीआई से कहा, “हमने छिंदवाड़ा में कफ सिरप की आपूर्ति की थी। इसे पीने के बाद 30 से ज़्यादा बच्चे बीमार पड़ गए। बीमार पड़ने के बाद बच्चों को नागपुर के अस्पतालों में रेफर किया गया। 6 बच्चों की मौत हो गई। यह आपूर्ति छिंदवाड़ा में न्यू अपना एजेंसी, आयुष फार्मा और जैन मेडिकल एंड जनरल स्टोर्स को की गई थी। कफ सिरप चेन्नई की एक कंपनी से मंगवाया गया था।”

जबलपुर के ड्रग इंस्पेक्टर शरद कुमार जैन ने पीटीआई को बताया, “हमारी जांच के अनुसार, कटारिया फार्मास्युटिकल्स ने चेन्नई की एक कंपनी से कोल्ड्रिफ कफ सिरप की 660 बोतलें मंगवाई थीं। इनमें से 594 बोतलें छिंदवाड़ा में सप्लाई की गईं बाकी 66 बोतलों को रेफ्रिजरेट किया गया और 16 बोतलों को भोलप लैब में लैब टेस्टिंग के लिए भेजा गया।”

राजस्थान: डॉक्टर और फार्मासिस्ट को निलंबित करने की कार्रवाई शुरू

राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सीकर जिले में हाथीदेह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में बच्चों के लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखे जाने पर एक चिकित्सक और फार्मासिस्ट को निलंबित करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। अधिकारियों के अनुसार राज्य में संचालित निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित कफ सिरप की क्वालिटी की शिकायत के विषय में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग गंभीरता के साथ कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है। इसके अनुसार भरतपुर एवं सीकर जिले में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही बच्चों को खांसी की दवा डेक्सट्रोमैटोरफन नहीं लिखी गई थी।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रकरण सामने आने पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मामले की जांच किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (आरएमएससीएल) ने संबंधित दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी थी और जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया था। साथ ही, दवा का वैधानिक नमूना लेकर जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी भेजा गया है।

प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह कफ सिरप नहीं लिखी जाती

प्रयोगशाला के निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि भरतपुर और सीकर में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया है कि चिकित्सक द्वारा दोनों ही बच्चों को डेक्सट्रोमैटोरफन एचबीआर सिरप नहीं लिखी गई है। प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं लिखी जाती है। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक की हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खांसी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया था, जिस पर चिकित्सक डॉ. पलक और फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित करने की कार्रवाई की जा रही है।

वहीं विभाग ने प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के साथ ही एडवाइजरी भी जारी की है। यह एडवाइजरी प्रिस्क्रिप्शन लिखने में प्रोटोकॉल का पालन करने, मरीजों को प्रिसक्रिप्शन से ही दवा उपलब्ध कराने और मरीजों द्वारा बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा नहीं लेने के संबंध में है। इसमें कहा गया है कि सभी चिकित्सक दवा लिखते समय परामर्श की पूर्णत: पालना सुनिश्चित करें। बच्चों को दवाई लिखते समय निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।

(भाषा के इनपुट के साथ)