सीबीआई में चल रही उठापटक के बीच छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा दी है। आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकार के बाद छत्तीसगढ़ ने भी सीबीआई को राज्य में छापा मारने या जांच करने के लिए दी गई सहमति वापस ले ली है। गौरतलब है कि यह कदम उस दिन उठाया गया, जिस दिन आलोक वर्मा को सीबीआई प्रमुख के पद से हटाते हुए उन्हें अग्निशमन सेवा, नागरिक रक्षा और होमगार्ड्स महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है। छत्तीसगढ़ गृह विभाग ने केंद्रीय कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन मामले तथा केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर सीबीआई मामले की सूचना दी है।
दरअसल, सीबीआई गठन के कानून में राज्यों में जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति लेने का प्रावधान है। वर्ष 2001 में छत्तीसगढ़ सरकार ने सीबीआई को सामान्य सहमति दी थी। जिसके तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय सीबीआई को छत्तीसगढ़ में किसी भी मामले की जांच के लिए अधिकृत कर सकती थी। लेकिन अब इसी सहमति को राज्य सरकार ने वापस ले लिया है। जिसके बाद अब सीबीआई छत्तीगढ़ में केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी संस्थानों और निजी व्यक्तियों की जांच सीधे नहीं कर सकेगी।
गौरतलब है कि सीबीआई राज्य में स्वयं मामले की जांच शुरू नहीं कर सकती लेकिन केंद्र और राज्य की मांग या फिर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जांच कर सकती है। इसलिए कोई भी राज्य अगर सीबीआई को बैन करता है फिर भी कोर्ट के आदेश के बाद राज्य का बैन स्वतः रद्द हो जाएगा। बता दें कि पिछले साल पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश की सरकारें सीबीआई को अपने यहां जांच करने और छापा मारने के लिए दी गई सामान्य सहमति वापस ले चुकी हैं।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में सीबीआई पिछले 18 सालों में करीब आधा दर्जन मामलों की जांच कर चुकी है। इनमें कई बड़े मामलों की जांच भी शामिल है। जिनमें एसईसीएल कोल घोटाला, आईएएस बीएल अग्रवाल रिश्वत कांड, पूर्व मंत्री राजेश मूणत की कथित अश्लील सीडी कांड की जांच आदि है।