राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने चुनावों में धनबल और बाहुबल के दुरुपयोग को लेकर सोमवार को चिंता जताई और कहा कि इससे लोकतंत्र की भावना को नुकसान होता है। उन्होंने चुनाव आयोग से यह भी अपील की कि वह ऐसे युवा मतदाताओं तक पहुंचने का प्रयास करे जिनकी डिजिटल या सोशल मीडिया तक पहुंच नहीं है। राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के छठे राष्ट्रीय मतदाता दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए धनबल और बाहुबल का दुरुपयोग चिंता का विषय बना हुआ है। अगर इन गलत कार्यों पर काबू नहीं पाया गया तो लोकतंत्र की भावना को नुकसान होगा। यह दिवस 25 जनवरी, 1950 को चुनाव आयोग की स्थापना के मौके पर मनाया जाता है। चुनाव निकाय और उससे संबद्ध एजंसियों की ओर से यह दिवस देश भर में जोरशोर से मनाया जाता है ताकि मतदाताओं की हिस्सेदारी बढ़ाई जा सके।
राष्ट्रपति ने मतदाताओं, खासकर युवाओं तक पहुंचने के लिए नए तरीके अपनाने की खातिर चुनाव आयोग की तारीफ की। आयोग ने नए तरीके अपनाए हैं ताकि मतदाता योग्य होते ही स्वतंत्र एवं निष्पक्ष तरीके से मतदान कर सकें। उन्होंने कहा- हालांकि सोशल मीडिया ने युवाओं के बीच चुनाव प्रक्रिया के बारे में जागरूकता पैदा की है, लेकिन साथ ही उन लोगों पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है जो डिजिटल अवसरों के दायरे से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से चुनाव आयोग ने नैतिक मतदान के लिए पहल की है, वह सराहनीय है। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व में सबसे बड़ा लोकतंत्र होने पर गर्व है जहां 84 करोड़ से ज्यादा लोग मतदान में शामिल होते हैं। मुखर्जी ने कहा कि भारत में चुनाव सिर्फ लोकतंत्र का उत्सव ही नहीं, बल्कि एक विशाल प्रशासनिक कवायद भी है और इस कार्य को चुनाव आयोग व उसके अधिकारी निष्पक्षता और निर्भीकता से अंजाम देते हैं।
अपने को पूर्व सक्रिय राजनीतिक कार्यकर्ता बताते हुए राष्ट्रपति मुखर्जी ने कहा कि विश्व के नेताओं और विचारकों ने कम साक्षरता दर, काफी गरीबी और पिछड़ेपन के साथ भारत के गणतंत्र बनने की सराहना नहीं की थी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के एक निजी मित्र ने उन्हें पत्र लिखा था कि आपका आदर्शवाद वास्तविकता के आधार पर निराश होगा लेकिन बाद में जब पहला आम चुनाव सफलतापूर्वक संपन्न हुआ तो उन्होंने खुद ही स्वीकार किया था कि भारत ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग की नई पहलों को अनुकरणीय बताया। उन्होंने इस क्रम में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) शुरू किए जाने का जिक्र किया जिससे मतों की गिनती और नतीजे घोषित करने में लगने वाले समय में खासी कमी आई।