जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपना राजनीतिक विश्लेषक का करियर छोड़कर बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था। उन्होंने चुनाव मैदान में उतरने से पहले ही बिहार के लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों, तहसीलों, ब्लॉकों और गांवों का दौरा किया था।
प्रशांत किशोर ने लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि बिहार तरक्की में बहुत पीछे रह गया है और अब लोगों को जाति-धर्म से ऊपर उठकर अपने बच्चों के भविष्य के लिए वोट देना चाहिए। प्रशांत किशोर ने चुनाव प्रचार के दौरान भी बेरोजगारी, स्कूलों और अस्पतालों की बदहाली, रोजगार, पलायन को सबसे बड़ा मुद्दा बनाया और बिहार के लोगों से बदलाव के लिए जन सुराज पार्टी वोट देने को कहा लेकिन जिस तरह के चुनाव नतीजे सामने आ रहे हैं, उससे यह कहा जा सकता है कि बिहार के लोगों ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
ऐसा लगता है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में मुश्किल से ही खाता खोल पाएगी।
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बिहार में कहा जाता है कि लोग जाति-धर्म के आधार पर ही वोट करते हैं और ऐसे माहौल के बीच भी प्रशांत किशोर ने भरसक कोशिश की कि लोग बिहार में शिक्षा, रोजगार, पलायन के मुद्दों पर वोट दें।
प्रशांत किशोर ने चुनावी रणनीतिकार के रूप में बीजेपी से लेकर कांग्रेस और तमाम बड़े राजनीतिक दलों के लिए चुनाव प्रचार की रणनीति बनाने का काम किया और चुनावी रणनीतिकार के रूप में उनका ट्रैक रिकॉर्ड बेहद शानदार रहा लेकिन जब वह खुद पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने उतरे तो उन्हें जबरदस्त निराशा हाथ लगी है। प्रशांत किशोर मूल रूप से बिहार के ही रहने वाले हैं और उन्हें ऐसी उम्मीद थी कि बिहार के मतदाता उनकी बातों और उनके वादों के आधार पर एक बार उन्हें वोट जरूर देंगे।
प्रवासियों के वोट मिलने का किया था दावा
पहले चरण की बंपर वोटिंग के बाद प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि बड़ी संख्या में बिहार के प्रवासी छठ मनाने के लिए आए और उन्होंने खुद अपना वोट दिया और अपने रिश्तेदारों, दोस्तों को भी बदलाव के लिए वोट देने के लिए प्रेरित किया लेकिन ऐसा नहीं दिखाई देता कि बिहार में ऐसा कुछ हुआ है। निश्चित रूप से जन सुराज पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थक चुनाव नतीजों से बेहद निराश होंगे।
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देखना होगा कि इस बेहद खराब प्रदर्शन के बाद भी क्या प्रशांत किशोर और जन सुराज पार्टी बिहार की राजनीति में बनी रहेगी। हालांकि किशोर ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में कहा था कि चुनाव नतीजे कुछ भी हों, वह कभी बिहार को छोड़कर नहीं जाएंगे।
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