चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इन दिनों जन सुराज अभियान के तहत बिहार के अलग-अलग जिलों का दौरा कर रहे हैं। अपने इन दौरों में वे लोगों से बात कर रहे हैं और राजनीति में अपनी योजना को आगे बढ़ाने के लिए रास्‍ता तलाश रहे हैं। इस दौरान एक न्यूज़ चैनल से बातचीत के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि ये कहना गलत होगा कि मैंने प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनाए हैं।

इस दौरान प्रशांत से सवाल किया गया कि आपने कई सरकारें बनवाईं। लोग नीचे से ऊपर जाते हैं, ये उलटी राह कैसे पकड़ी आपने? इस सवाल के जवाब में चुनावी रणनीतिकार ने कहा, “ये कहना गलत होगा कि मैंने प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री बनाए हैं। जो चुनाव जीतता है ये उसका व्यक्तित्व होता है और उसे जनता का समर्थन मिलता है।” उन्होंने कहा कि हम जैसे लोग उसमें थोड़ी-बहुत मदद कर सकते हैं, हम किसी को बना नहीं सकते।

लोग अपनी क्षमता से कुछ भी बनते हैं: प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि अगर चाक और मिट्टी ना हो तो कोई भी कुम्हार घड़ा नहीं बना सकता। लोग अपनी क्षमता से कुछ भी बनते हैं। चुनावी रणनीतिकार ने कहा, “ज्यादातर राजनीतिक एक्टिविस्ट नीचे से उठकर ऊपर पहुंचते हैं, पर मेरी यात्रा अलग रही है, मैं ऊपर से आ रहा हूं। इसलिए मुझे नीचे जाकर लोगों से मिलने की, उनसे बात करने की, समाज को समझने की जरूरत है।”

पीके ने कहा कि मैं समाज को तो समझता हूं, पर मुझे इसे दूसरे नजरिए से समझने और देखने की जरूरत है। मैं लोगों को पहले एनालिस्ट बनकर, फिर उनका सहभागी बनकर, उनके साथ बैठकर समझने का प्रयास कर रहा हूं। प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि आने वाले एक-डेढ़ सालों तक मुझे कोई दल नहीं बनाना है, बल्कि बिहार के हर गांव, हर गली में जाकर लोगों से मिलना है।

लोगों को नए विकल्प की तलाश: प्रशांत किशोर ने ये भी कहा कि बिहार के जैसे हालात हैं, उसमें लोग एक नए विकल्प की तलाश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो बदलाव क्या होना चाहिए, कैसे होना चाहिए इसके लिए सबको आगे आना होगा। किसी एक व्यक्ति या दल के आने या ना आने से ये नहीं होगा। बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में लाने के लिए किसी प्रशांत किशोर या दल को नहीं बिहार के लोगों को ही आगे आना होगा। इसके लिए लोगों को एक मंच पर आना होगा और मिलकर एक साथ काम करना होगा।