उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति का मामला चर्चा में आते ही विवादों में घिर गया। इसकी विवेचना के तहत इससे मिलने वाले फायदों की तो खूब चर्चा हो रही है लेकिन कुछ प्रावधान अभी भी चर्चा से दूर बने हुए हैं। बिल में नसबंदी से लेकर कुछ अन्य बातों का भी जिक्र है जोकि अभी तक चर्चा से दूर रहा है। सरकार का दावा है कि उत्तर प्रदेश में मौजूदा संसाधनों के हिसाब से आने वाले समय में परेशानियां न बढ़ें, इसलिए सरकार जनसंख्या नीति लेकर आई है।
नसबंदी पर जोर: इस बिल के तहत दो बच्चों के फार्मूले को अपनाने वाले लोगों को तमाम तरह की सुविधाएं मिलेंगी, जिसमें इंक्रीमेंट से लेकर सब्सिडी तक शामिल है। लेकिन जानकारों की नजरों से जो बात छिपी रह गई वह य़ह है कि अगर आपके दो बच्चे हैं लेकिन आपने नसबंदी नहीं कराई है तो आपको जनसंख्या नियंत्रण कानून का पालन करने वाला नहीं जाएगा। बिल में उन लोगों को और फायदा देने की बात कही गई है जो सिर्फ एक संतान के बाद ही नसबंदी करा लेंगे।
भारत में कानून कितने पेचीदे होते है इसकी एक बानगी भर है जनसंख्या नियंत्रण कानून। इस कानून के कई पहलुओं को अगर ध्यान से पढ़ा जाए और संतान उत्तपत्ति से जुड़ी दूसरी बातें जैसे कि गोद लेना, दिव्यांग बच्चे का पैदा होना या फिर संतान की मृत्यु। न्यूजलॉन्ड्री में छपी खबर के अनुसार इन बातों को गहराई से समझने के बाद आप पाएंगे कि बिल में जनसंख्या नियंत्रण नहीं बल्कि गर्भावस्था को कंट्रोल करने पर है।
मिसाल के तौर पर अगर किसी दंपत्ति का एक बच्चा खो जाता है और उसके बाद वह दो बच्चे पैदा करते हैं तो इस तरह उनके गर्भधारण संख्या तीन हो जाएगी और वह इस जनसंख्या नियंत्रण कानून से बाहर हो जाएंगे और मिलने वाली सुविधाएं रोक दी जाएंगी लेकिन अगर कोई महिला जुड़वा बच्चों को जन्म देती है तो उसके गर्भधारण की संख्या एक ही मानी जाएगी।
बच्चे तीन लेकिन गर्भधारण दो, तो नहीं होगी कोई दिक्कत: बिल में गर्भ धारण की जो नीति बनाई है उसको लेकर आप कंफ्यूज हो सकते हैं। दिव्यांग्ता का उदाहरण देते हुए धारा 15 में बताया गया है कि तकनीकी तौर पर एक जोड़ा चार बच्चे तक पैदा कर सकता है, यदि उसका एक बच्चा दिव्यांग है और एक बार मां ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया है। कुल मिलाकर कहने का मतलब है कि आपको इस कानून के तहत जो सुविधाएं दी जाएंगी उसमें यह नहीं देखा जाएगा कि आपके कितने बच्चे हैं, बल्कि आपने कितने गर्भधारण किए हैं। अगर दो गर्भधारण के बाद तीन बच्चे पैदा होते हैं तो कोई दिक्कत नहीं होगी।
इस नई जनसंख्या नीति के तहत योगी सरकार का लक्ष्य है कि साल 2030 तक जन्म दर को 1.9 तक लाना है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यहां ये है कि उत्तर प्रदेश में प्रजनन दर पहले से ही कई राज्यों से कम है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक यूपी की प्रजनन दर 2.7 है।