असम के नगांव में शनिवार को गुस्साई भीड़ ने एक थाने में आग लगा दी थी, आरोप था कि पुलिस की हिरासत में एक शख्स सफीकुल इस्लाम की मौत हो गई। शख्स की मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने थाने पर धावा बोला दिया और उसे जला दिया। इस घटना के बाद पुलिस ने आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चला दिया। वहीं, डीजीपी का कहना है कि यह घटना एक्शन का रिएक्शन नहीं है, बल्कि इसमें कुछ और भी है।
चला बुलडोजर- पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रविवार की सुबह टीम बुलडोजर लेकर थाने से करीब छह किलोमीटर दूर गांव पहुंची। वहां आरोपियों के घरों को चिन्हित करके उसे ध्वस्त कर दिया। पुलिस ने कहा कि वे आगजनी में शामिल तत्वों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करेगी। एक बयान में कहा गया है- “हालांकि हम दोषी पाए गए किसी भी पुलिस कर्मी को छोड़ेंगे नहीं, हम उन तत्वों के खिलाफ और भी सख्त कार्रवाई करेंगे जो सोचते हैं कि वे पुलिस थानों को जलाकर भारतीय न्याय प्रणाली से बच सकते हैं। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे”।
इस घटना को लेकर असम के डीजीपी ने कहा कि उस दिन क्या हुआ, हम सभी जानते हैं। उन्होंने कहा- “कुछ स्थानीय दुष्ट तत्वों ने कानून अपने हाथ में ले लिया और थाने को जला दिया। ये बुरे तत्व स्त्री, पुरुष, युवा और वृद्ध सभी रूपों में आए थे, लेकिन जिस तैयारी के साथ वे आए, पुलिस बल पर उन्होंने जिस क्रूर और संगठित हमले को अंजाम दिया, उसने हमें गहराई से सोचने पर मजबूर कर दिया है”।
डीजीपी यहीं नहीं रुके, उन्होंने इस घटना को लेकर कहा कि यह हमला जैसा दिखता है, वैसा है नहीं। इसमें कुछ और भी है। उन्होंने कहा- “हमें नहीं लगता कि ये मृतक के शोक संतप्त रिश्तेदार थे, लेकिन जैसा कि हमने पहचाना है, वे बुरे चरित्र वाले और आपराधिक रिकॉर्ड वाले लोग थे। सबूत सब जल गए। तो मत सोचिए कि यह एक साधारण एक्शन-रिएक्शन की घटना है। इसमें और भी बहुत कुछ है”।
क्या था मामला- डीजीपी ने इस मामले पर एक फेसबुक पोस्ट लिखकर पूरी जानकारी दी है। पुलिस के अनुसार, सलोनाबोरी गांव के एक मछली व्यापारी सोफिकुल इस्लाम को शुक्रवार रात एक शिकायत के आधार पर बटाद्रवा पुलिस स्टेशन लाया गया था। पुलिस को वह शराब के नशे में सड़क पर पड़ा हुआ मिला था। मेडिकल जांच के बाद उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। अगले दिन उसे छोड़ दिया गया और उसकी पत्नी उसे लेकर चली गई। बाद में उन्होंने बीमारी की शिकायत की और उन्हें एक के बाद एक दो अस्पतालों में ले जाया गया। जहां शख्स को मृत घोषित कर दिया गया।
क्या कहते हैं लोग- दूसरी ओर, इस्लाम के परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि बटाद्रवा स्टेशन पर पुलिस ने उसकी रिहाई के लिए 10,000 रुपये और एक बत्तख मांगी थी। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक इस्लाम की पत्नी शनिवार की सुबह बत्तख को लेकर थाने पहुंची थी। ग्रामीणों ने कहा- “जब वह बाद में पैसे लेकर लौटी, तो उसे पता चला कि उसके पति को नगांव सिविल अस्पताल ले जाया गया है। वहां पहुंचने के बाद, उसने उसे मृत पाया”।
थाने को जलाया- कुछ घंटे बाद दोपहर करीब साढ़े तीन बजे 30-40 लोगों की भीड़ ने थाने का घेराव किया और उसके एक हिस्से को आग के हवाले कर दिया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस घटना के वीडियो में एक महिला स्टेशन में स्कूटर पर तेल छिड़कती और आग लगाती नजर आ रही है।
बता दें कि इस मामले में थाना प्रभारी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही इस हमले की जांच एसआईटी से करवाने की घोषणा की गई है। इसके अलावा हिरासत में मौत मामले की भी अलग से जांच कराने के आदेश दिए गए हैं।
