असम के उदलगुड़ी जिले में एक स्कूल में साइंस टीचर और उसके परिवार ने अपने घर में 3 साल की बच्ची की बलि देने की कोशिश की। इस बीच स्थानीय लोगों ने हस्तक्षेप कर उनके इरादों पर पानी फेर दिया। लोगों ने घटना के बारे में पुलिस तथा मीडिया को सूचना दे दी। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्थिति को नियंत्रण करने की कोशिश में पुलिस को गोलीबारी करनी पड़ी।

इस दौरान हाई स्कूल में साइंस टीचर जादव सहारिया और उसका बेटा पुलिस की गोलीबारी में घायल हो गए। स्थिति उस समय हिंसक हो गई जब जिले में गणक्पारा गांव के लोगों ने टीचर के घर से धुआं निकलते देखने के बाद पुलिस और मीडिया को बुलाया। पुलिस ने बताया कि स्थानीय लोगों ने शिकायत की कि साइंस टीचर के घर पहुंचने पर उन्होंने महिला समेत परिवार के सदस्यों को लड़की को बलि वेदी पर रखने के बाद पूजा करते हुए कपड़े उतारते हुए देखा।

स्थानीय लोगों के अनुसार, एक तांत्रिक लंबी तलवार से बच्ची का सिर कलम करने की कोशिश कर रहा था। जब पुलिस और मीडियार्किमयों ने हस्तक्षेप की कोशिश की तो परिवार के सदस्यों ने पत्थर और बर्तन फेंकने शुरू कर दिए तथा मोटरसाइकिल, कार, टेलीविजन सेट और फ्रिज में आग लगा दी।

पुलिस ने फिर स्थिति को काबू में करने के लिए हवा में पांच गोलियां चलाई। इसके बाद बच्ची को परिवार के चंगुल से छुड़ाया। प्रत्यक्षर्दिशयों ने मीडिया को बताया कि बच्ची टीचर के साली की बेटी है और उसके पिता ने उसकी मां की मौजूदगी में बच्ची की बलि देने के लिए उसे सौंपा था। असम पुलिस ने तांत्रिक और परिवार के कुछ सदस्यों को हिरासत में लिया। मामले की छानबीन चल रही है।

इससे पहले पुलिस ने बताया कि परिवार की एक सदस्य इस पूरे घटनाक्रम से ध्यान बंटाने के लिए घर के मंदिर की घंटी को बहुत तेज-तेज बजा रही थी। इसके बावजूद घटना के बारे में लोगों को पता लग गया। इसके बाद परिवार वालों के विरोध पर काबू पाने के लिए पुलिस को तीन घंटे तक मशक्कत करनी पड़ी। परिवारवालों ने हंगामे के साथ धारदार हथियारों से भी हमला किया था। इस दौरान घटना में घायल परिवार के तीन सदस्यों का अस्पताल में इलाज चल रहा है।